वैदिक कैलेंडर-
नया विक्रम संवत् 2080 ‘पिंगल’ नाम से जाना जाएगा
– नए संवत्सर के राजा है बुध और शुक्र है मंत्री
इस नए वर्ष के राजा बुध हैं और मंत्री शुक्र हैं। बुध और शुक्र की वजह से नववर्ष सभी के लिए शुभ रहेगा। व्यापारियों को इस साल बड़े लाभ मिल सकते हैं, व्यापार का विस्तार हो सकता है। बुधवार से चैत्र नवरात्रि शुरू होगी, इसे रामरात्र भी कहा जाता है। बुध के राजा होने से सुख-समृद्धि बढ़ेगी ।
चैत्र माह नववर्ष का पहला माह रहता है। इसे विक्रम संवत या नव संवत्सर भी कहते हैं। आज से विक्रम संवत का 2080 वर्ष प्रारंभ होगा। हिंदू नववर्ष, हिंदू कैलेंडर और पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को प्रारंभ होता है, यानि चैत्र माह का कृष्ण पक्ष गुजर जाने के बाद अमावस्या के दूसरे दिन से यह नववर्ष प्रारंभ होता है। एक माह में 30 दिन होते हैं, जिसे दो भागों में बांटा गया है। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ आदि हिंदू महीनों के नाम हैं। उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने विदेशी शकों को पराजित कर एक नए युग का सूत्रपात किया था और प्रतिपदा के दिन विजयोत्सव मनाया गया था। इस दिन से उनके नाम पर जो संवत प्रचलित हुआ उसे भारतीय कैलेंडर मान लिया और यह आज तक प्रचलित है।
हर संवत्सर का एक नाम होता है
नववर्ष को क्यों संवत्सर कहा जाता है? दरअसल, जिस तरह प्रत्येक माह के नाम नियुक्त हैं, जैसे चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, अगहन, पौष, माघ और फाल्गुन। उसी तरह प्रत्येक आने वाले वर्ष का एक नाम होता है। 12 माह के 1 काल को संवत्सर कहते हैं और हर संवत्सर का एक नाम होता है। इस तरह 60 संवत्सर होते हैं। वर्तमान में 2080 के नव संवत्सर को ‘पिंगल’ नाम से जाना जाएगा। इस संवत के राजा बुध और मंत्री शुक्र होंगे। साठ वर्ष का एक युग माना गया है। इसीलिए युगादि कहते हैं।
चैत्र मास ही हमारा प्रथम मास होता है, जिस दिन ये मास आरम्भ होता है, उसे ही वैदिक नव-वर्ष मानते हैं l चैत्र मास अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मार्च-अप्रैल में आता है, चैत्र के बाद वैशाख मास आता है जो अप्रैल-मई के मध्य में आता है, ऐसे ही बाकी महीने आते हैं l फाल्गुन मास हमारा अंतिम मास है, जो फरवरी-मार्च में आता है, फाल्गुन की अंतिम तिथि से वर्ष की सम्पति हो जाती है, फिर अगला वर्ष चैत्र मास का पुन: तिथियों का आरम्भ होता है जिससे नव-वर्ष आरम्भ होता है l
हमारे समस्त वैदिक मास (महीने) का नाम २८ में से 12 नक्षत्रों के नामों पर रखे गये हैं l
जिस मास की पूर्णिमा को चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर होता है उसी नक्षत्र के नाम पर उस मास का नाम हुआ l
१. चित्रा नक्षत्र से चैत्र मास l
२. विशाखा नक्षत्र से वैशाख मास l
३. ज्येष्ठा नक्षत्र से ज्येष्ठ मास l
४. पूर्वाषाढा या उत्तराषाढा से आषाढ़ l
५. श्रावण नक्षत्र से श्रावण मास l
६. पूर्वाभाद्रपद या उत्तराभाद्रपद से भाद्रपद l
७. अश्विनी नक्षत्र से अश्विन मास l
८. कृत्तिका नक्षत्र से कार्तिक मास l
९,. मृगशिरा नक्षत्र से मार्गशीर्ष मास l
१०. पुष्य नक्षत्र से पौष मास l
११. माघा मास से माघ मास l
१२. पूर्वाफाल्गुनी या उत्तराफाल्गुनी से फाल्गुन मास
Manoj Dadhich