जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा भारत की दो दिन की यात्रा पर आज (सोमवार) 20 मार्च, 2023 को नई दिल्ली पहुंचे। केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने उनका स्वागत किया। इसके पश्चात प्रधानमंत्री किशिदा राजघाट स्थित गांधी जी के समाधि स्थल पर पहुंचे। वहां उन्होंने महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्प अर्पित किए। इसके पश्चात वे राष्ट्रीय राजधानी स्थित हैदराबाद हाउस में पीएम मोदी से मुलाकात करने पहुंचे। इस दौरान दोनों नेताओं ने एक-दूसरे का अभिवादन किया और डेलिगेशन लेवल टॉक के लिए चले गए। फिलहाल, दोनों देश आपसी सहभागिता और साझेदारी की एक नई मिसाल कायम करने की कोशिश करेंगे। दोनों पक्षों के बीच आपसी हितों के द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा भी होगी। वहीं बाद में दोनों नेता दिल्ली के बुद्ध जयंती पार्क में बाल बोधि वृक्ष के दर्शन भी करेंगे।
G20 और G7 के एजेंडे को लेकर करेंगे चर्चा
वे G7 और G20 के अपने-अपने प्रेसीडेंसी के लिए अपनी प्राथमिकताओं पर भी चर्चा करेंगे। दरअसल, यह यात्रा इस बात पर सहयोग करने और चर्चा करने का अवसर देती है कि कैसे G20 और G7 खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा, ऊर्जा संक्रमण और आर्थिक सुरक्षा सहित महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर प्राथमिकताओं को परिवर्तित करने पर एक साथ काम कर सकते हैं।
ये यात्रा सहयोग और चर्चा करने के देती है अनेक अवसर
याद हो, साल 2014 में भारत-जापान संबंधों को ‘विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी’ तक उन्नत किया गया था। भारत-जापान साझेदारी में रक्षा और सुरक्षा, व्यापार और निवेश, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा से लेकर कई क्षेत्र शामिल हैं।
आज भारत-जापान सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक
आज रक्षा और सुरक्षा सहयोग में भारत-जापान विशेष सामरिक और वैश्विक साझेदारी के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक के रूप में उभरा है। यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति व स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कारक साबित हो रहे हैं। दोनों देश 2015 में हस्ताक्षरित रक्षा उपकरण और प्रौद्योगिकी समझौते के तहत भी लगातार प्रगति कर रहे हैं।
जापान भारत में पांचवां सबसे बड़ा निवेशक
जानकारी के लिए बता दें, जापान भारत में पांचवां सबसे बड़ा निवेशक है। वहीं दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच बैठक ऐसे महत्वपूर्ण समय में हो रही है, जब भारत और जापान G20 और G7 की अध्यक्षता कर रहे हैं। ऐसे में यह यात्रा इस बात पर सहयोग करने और चर्चा करने का अवसर देती है कि कैसे G20 और G7 खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा, ऊर्जा संक्रमण और आर्थिक सुरक्षा सहित महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर प्राथमिकताओं को परिवर्तित करने पर एक साथ काम कर सकते हैं।
इन सभी पहलुओं के मद्देनजर हमारे लिए यह जानना भी बेहद अहम रहेगा कि भारत-जापान के बीच मैत्री पूर्ण रिश्तों कैसा इतिहास रहा है। तो आइए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में…
भारत-जापान के बीच मैत्री पूर्ण रिश्तों का है लंबा इतिहास
गौरतलब हो, भारत और जापान के बीच मैत्री पूर्ण रिश्तों का एक लंबा इतिहास रहा है। यह रिश्ता आध्यात्मिक सोच में समानता और मजबूत सांस्कृतिक एवं सभ्यतागत रिश्तों पर आधारित है। दोनों आधुनिक देशों ने पुराने संबंध की सकारात्मक विरासत को आज भी जारी रखा है। ये लोकतंत्र, व्यक्तिगत आजादी तथा कानून के शासन में विश्वास के साझे मूल्यों से सुदृढ़ हुआ है। वर्षों से दोनों देशों ने इन मूल्यों को सुदृढ़ किया है और सिद्धांत एवं व्यवहार दोनों के आधार पर एक साझेदारी का निर्माण किया है। आज भारत एशिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र है जबकि जापान एशिया का सबसे खुशहाल देश है।
ऐसे हुई थी दोनों देशों के मधुर रिश्तों की शुरुआत
उल्लेखनीय है कि जापान के साथ भारत का सबसे पुराना प्रलेखित सीधा संपर्क नारा में स्थित तुडाइजी मंदिर से था, जहां 752 ईस्वी में भारतीय बौद्ध भिक्षु बोधिसेना द्वारा गगनचुंबी भगवान बुद्ध की प्रतिमा का अभिषेक किया गया। समकालीन समय में, जापान से निकटता से जुड़े अन्य भारतीयों की बात करें तो इनमें हिंदू धर्म गुरु स्वामी विवेकानंद, नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर, उद्योगपति जे. आर. डी. टाटा, स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस और न्यायाधीश राधाबिनोद पाल महत्वपूर्ण हैं।