इसे कहते हैं प्रतिद्वंदियों के सामने बड़ी लकीर खींचना।
19 नए जिले बनाने की घोषणा वाकई बड़ी बात है। हिन्दुओं के दो बड़े तीर्थ स्थल पुष्कर और गोविंद देव जी के मंदिर को विकास की घोषणा कर मुख्यमंत्री गहलोत ने अपनी बदलती सोच भी प्रदर्शित की है।
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6 माह पहले 25 सितंबर 2022 को जब अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने जयपुर में कांग्रेस विधायकों की बैठक बुलाई तब अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बने रहने पर संशय हुआ। बाद में जो भी राजनीतिक घटनाक्रम हुआ, उसमें भी कांग्रेस हाईकमान के सामने गहलोत की स्थिति कमजोर हुई। प्रतिद्वंदी सचिन पायलट के समर्थक लगातार कहते रहे कि गहलोत को कभी भी मुख्यमंत्री पद से हटाया जा सकता है। लेकिन 17 मार्च को विधानसभा में प्रदेश में 19 नए जिलों की घोषणा कर सीएम गहलोत ने न केवल कांग्रेस हाईकमान व प्रतिद्वंदी सचिन पायलट के सामने अपनी बड़ी लकीर खींची है, बल्कि प्रमुख विपक्षी भाजपा के सामने भी राजनीतिक चुनौती खड़ी की है। एक साथ 19 नए जिले बनाने की घोषणा वाकई बड़ी बात है। इसमें कोई दो राय नहीं कि जिले बनाने के मामले को भाजपा ने लटकाए रखा, लेकिन गहलोत ने एक झटके में 19 जिले बना दिए। नए जिले बनाने में गहलोत ने कोई भेदभाव नहीं किया है। अगस्त 2019 में कांग्रेस के जो विधायक सचिन पायलट के साथ दिल्ली गए थे, उनके उपखंड भी जिले बनाए गए। इसी प्रकार जिन विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा लगातार जीत रही है, उसे भी जिला बनाया गया है। जिन विधायकों ने सरकार बचाई, उनका कुछ ज्यादा ही ख्याल रखा गया। किसानों को दो हजार, घरेलू उपभोक्ताओं को 100 यूनिट बिजली फ्री, उज्ज्वला योजना के 30 उपभोक्ताओं को मात्र 500 रुपए में सिलेंडर प्राइवेट अस्पतालों में 25 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज, जरुरतमंदों को न्यूनतम पेंशन एक हजार रुपए, ऐसे निर्णय है जिनका फायदा आठ माह हबाद होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और गहलोत को मिलेगा। सब जानते हैं कि कांग्रेस में सचिन पायलट, गहलोत के प्रमुख प्रतिद्वंदी हैं, लेकिन फिलहाल गहलोत ने पायलट के सामने भी बड़ी लकीर खींच दी है। पायलट के समर्थक माने या नहीं, लेकिन अभी गहलोत ने अपनी लोकप्रियता का ग्राफ ऊंचा किया है। विधानसभा चुनाव में किसकी राय से उम्मीदवार तय होते हैं, यह बात लगह है, लेकिन गहलोत ने फिलहाल अपनी स्थिति को कांग्रेस से भी ज्यादा मजबूत कर लिया है। देखना यह भी है कि गहलोत की इस मजबूत स्थिति को कांग्रेस हाईकमान किस नजरिए से देखता है। फिलहाल तो राजस्थान में अशोक गहलोत ही कांग्रेस हाईकमान नजर आ रहे हैं। यह भी देखना होगा कि गहलोत ने जो अपनी लकीर बड़ी की है, उससे भाजपा कैसे मुकाबला करती है। भाजपा भी नए जिलों का विरोध करने की स्थिति में नहीं है। इसलिए सिर्फ क्रियान्विति पर सवाल उठाया गया है। भाजपा ने पूछा है कि नए जिले बनाने के लिए पैसा कहां से आएगा? 19 नए जिलों के बाद प्रदेश में 50 जिले हो जाएंगे।
हिन्दू तीर्थ स्थलों का विकास:
17 मार्च को बजट बहस के बाद सरकार की ओर से सीएम गहलोत ने हिन्दुओं के तीर्थ गुरु माने जाने वाले पुष्कर और जयपुर के सुप्रसिद्ध गोविंद देव जी के मंदिर के विकास की भी घोषणा की। सीएम ने कहा कि पुष्कर विकास प्राधिकरण बनाने की बात कही वहीं गोविंद देव जी मंदिर में उज्जैन के महाकाल मंदिर की तरह कॉरिडोर बनाने की घोषणा की। अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान का पैरोनमा अजमेर में बनाने का भी ऐलान किया। इन घोषणाओं से गहलोत ने अपनी बदलती सोच भी प्रदर्शित की है। इन घोषणाओं क काट करना भाजपा के लिए भी आसान नहीं होगा। कोई माने या नहीं, लेकिन एक साथ इतनी घोषणाएं कर अशोक गहलोत ने अपनी राजनीतिक परिपक्वता भी दिखाई है।
ये बने नए जिले:
सीएम गहलोत ने जो नए जिले बनाए हैं उनमें जोधपुर के जोधपुर पूर्व व पश्चिम, फलौदी, श्रीगंगानगर में अनूपगढ़, नागौर में डीडवाना, अजमेर में ब्यावर व केकड़ी, सीकर में नीम का थाना, जयपुर में जयपुर उत्तर, जयपुर दक्षिण, कोटपूतली व दूदू, अलवर में खैरथल, भरतपुर में डीग, सवाई माधोपुर में गंगानगर सिटी, भीलवाड़ा में शाहपुरा, उदयपुर में सलूंबर, जालौर में सांचौर और बाड़मेर में बालोतरा को शामिल किया गया है।
S.P.MITTAL