वैसे तो 2019 के आखिरी में चीन में कोरोना का नाम सुनाई देने लगा था मगर भारत में पहला मामला 30 जनवरी 2020 को आया. इसके बाद ये जंगल में आग की तरह फैलता चला गया. तब से एक बहस चल रही है कि आखिरकार ये वायरस आया कहां से.
इसकी उत्पत्ती कैसे हुई? विशेषज्ञों ने
चीन की वुहान लैबको इसके लिए दोषी ठहराया मगर चीन ने इसे सिरे से नकार दिया. एक्सपर्ट्स के पास भी पुख्ता सबूत नहीं थे. तीन साल बाद अब जाकर इसमें कुछ सफलता हासिल हुई है. ये वायरस चमगादड़, चूहों से नहीं बल्कि रैकून कुत्तों से फैला है. कोविड महामारी की उत्पत्ति ने शोधकर्ताओं को बहुत लंबे समय तक उलझन में रखा है. द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि विशेषज्ञों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने सबूत पाया कि कोरोना वायरस का संक्रमण रैकून कुत्तों (Raccoon Dogs) कुत्तों से फैल सकता है. इन कुत्तों को चीन के वुहान में एक सीफूड बाजार में अवैध रूप से बेचा जा रहा था.
2020 में इकट्ठा किया गया था स्वैब
रिपोर्ट में कहा गया है कि रिसर्चरों ने 2020 में हुनान सीफूड होलसेल मार्केट और करीबी इलाके से जेनेटिक डेटा फॉर्म स्वैब को इकट्ठा किया था. इसके बाद इनके स्वैब की लैब में जांच हुई. ज्यादातर स्वैब संक्रमित थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि जानवरों को ले जाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले फर्श, दीवारों, गाड़ियों और पिंजरों से स्वैब लिए गए थे
विश्लेषण में पाया गया कि नमूने वायरस से संक्रमित थे जिसमें रेकून कुत्तों सहित अन्य जानवरों की अनुवांशिक सामग्री थी. भले ही यह इस बात की पुष्टि नहीं करता है कि रेकून कुत्ते संक्रमित थे या उन्होंने ही इस वायरस को मनुष्यों में प्रेषित किया. शोध में कहा गया है कि वायरस जंगली जानवरों से फैलता है.
तीन शोधकर्ताओं की टीम ने की रिसर्च
एंजेला रासमुसेन जो कि एक वायरोलॉजिस्ट हैं और अनुसंधान का हिस्सा था उन्होंने द अटलांटिक को बताया कि यह वास्तव में एक मजबूत संकेत है कि बाजार में जानवर वायरस से संक्रमित थे. इसके अलावा अन्य कोई भी स्पष्टीकरण नहीं है जो किसी भी तरह से समझ में आता हो. अनुसंधान का नेतृत्व तीन शोधकर्ताओं क्रिस्टियन एंडरसन, माइकल वर्बे और एडवर्ड होम्स ने किया था. रिपोर्ट और डेटा को एक ओपन-एक्सेस जीनोमिक डेटाबेस GISAID द्वारा पोस्ट किया गया था. इसके बाद उत्तरी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के वैज्ञानिकों ने इसे डाउनलोड किया और इसका विश्लेषण किया. चीनियों ने पहले ही नमूनों की जांच कर ली थी और कहा था कि SARS-CoV-2 का किसी भी पशु में होने का कोई प्रमाण नहीं है