बुधवार से शुरू हो रहे जी-20 की विदेश मंत्रियों की बैठक से पहले जापान के बाद दक्षिण कोरिया ने भी भारत को झटका दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री घरेलू दायित्वों के कारण जी-20 की बैठक में हिस्सा लेने के लिए भारत नहीं आएंगे.
इससे पहले जापान के विदेश मंत्री योसिमासा हयाशी भी जी-20 मीटिंग की बैठक के बजाए संसदीय कार्यों को प्राथमिकता देते हुए भारत आने से मना कर चुके हैं. जापान के विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस बैठक में उप विदेश मंत्री केंजी यामादा हिस्सा लेंगे.
वहीं, राजनयिक सूत्रों के अनुसार, दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रालय ने घोषणा की है कि घरेलू मामलों में व्यस्त होने के कारण उसके विदेश मंत्री भारत में होने वाली जी-20 बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे.
रूस-यू्क्रेन युद्ध में भारत के तटस्थ रुख अपनाए जाने के कारण जी-20 की शुरुआत से ही भारत पर दबाव बनाया जा रहा है.
यू्क्रेन मुद्दे पर मतभेद होने और अहम देशों के विदेश मंत्रियों के बैठक में शामिल नहीं होने के कारण संयुक्त बयान जारी होने को लेकर भी अनिश्चितता बनी हुई है. बैठक में शामिल होने से पहले ही रूस और यूरोपीय संघ के विदेश मंत्री स्पष्ट कर चुके हैं कि यूक्रेन युद्ध पर अपनी स्थिति को लेकर अडिग हैं.
भारत के लिए क्यों झटका
जी-20 जैसे अहम सम्मेलन में जापान और दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री का भारत नहीं आना इसलिए झटका माना जा रहा है क्योंकि जापान भारत का एक घनिष्ठ मित्र है और इस साल जी-7 समूह की वार्षिक अध्यक्षता भी जापान ही कर रहा है. वहीं, दक्षिण कोरिया भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे बड़े निवेशकों में से एक है.
भारत में हो रहे जी-20 सम्मेलन में जापानी विदेश मंत्री की अनुपस्थिति के इसलिए मायने निकाले जा रहे हैं क्योंकि भारत का एक अहम दोस्त जापान पिछले शिखर सम्मेलन के बाद से ही जारी द्विपक्षीय बयानों में लगातार यह कहता आ रहा था कि जापान के नेतृत्व में जी-7 की बैठक और भारत की अध्यक्षता में जी-20 की बैठक से दोनों देशों के बीच संबंधों में और घनिष्ठता आएगी.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
वॉशिंगटन स्थित हडसन इंस्टीट्यूट के एक जापानी शोधकर्ता सटोरू नागाओ का कहना है कि जी-20 शिखर सम्मेलन में मोदी सरकार की ओर से निवेश किए गए उच्च स्तर के राजनयिक और राजनीतिक पूंजी के बावजूद अगर जापान के विदेश मंत्री अपनी यात्रा रद्द कर देते हैं तो भारत के लिए परेशान होने वाली बात है.
इसके अलावा, जी-20 की मीटिंग के बाद 3 मार्च को होने वाली क्वॉड देशों की बैठक में भी जापानी विदेश मंत्री के शामिल होने की अभी तक पुष्टि नहीं की गई है. देखने वाली बात यह होगी कि जापानी विदेश मंत्री की अनुपस्थिति में यह बैठक होगी या विदेश मंत्री हयाशी टोक्यो से वर्चुअली जुड़ेंगे.
यूक्रेन युद्ध के कारण रिश्तों में मतभेद
भारत और जापान एक घनिष्ठ मित्र है लेकिन यूक्रेन युद्ध ने दोनों देशों के राजनीतिक मोर्चे पर मतभेद पैदा किया है. जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा यूक्रेन युद्ध के कारण रूस पर सख्त रुख अपनाए हुए हैं और रूस पर पश्चिमी देशों की तरह प्रतिबंध लगाए हुए हैं.
जबकि भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रूस की निंदा करने से परहेज करता आ रहा है और रूस से भारी मात्रा में रियायत कीमतों पर कच्चा तेल खरीद रहा है.
जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने पिछले साल भी भारत दौरे के दौरान इस मामले को उठाया था. यूक्रेन को लेकर जापान की ओर से उठाए गए इस कदम पर भारतीय अधिकारियों ने अकसर निजी तौर पर चिंता व्यक्त की है.
दक्षिण कोरिया भारत में सबसे बड़े निवेशकों में से एक
जी-20 की मीटिंग में जापान के अलावा दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री का भी नहीं आना इसलिए मायने रखता है क्योंकि दक्षिण कोरिया भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे बड़े निवेशकों में से एक है. दक्षिण एशियाई देशों में उपभोक्ता वस्तुओं के बाजार में दक्षिण कोरियाई कंपनियों का एकतरफा दबदबा है.
दिसंबर में ही दक्षिण कोरिया ने पहली बार इंडो-पैसिफिक रणनीति की शुरुआत की थी. दक्षिण कोरिया का ये कदम काफी अहम था क्योंकि इससे पहले वह इंडो-पैसिफिक रीजन में अमेरिकी नीति का समर्थन नहीं कर रहा था. दक्षिण कोरिया की विदेश नीति कोरियाई प्रायद्वीप पर ही ज्यादा केंद्रित थी.saabhar,aajtak