मप्र जल संसाधन विभाग में रिटायरमेंट के बाद पांच वर्ष तक लगातार एक्सटेंशन लेकर ईएनसी रहे मदन गोपाल चौबे के अब बुरे दिन शुरु हो गये हैं। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की एफआईआर दर्ज करके राज्य सरकार से चालान पेश करने की अनुमति मांगी है। चौबे जल संसाधन विभाग में तत्कालीन एसीएस (वरिष्ठ आईएएस) के राजदार थे। वे पूरे 5 वर्ष विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का हक मारकर ईएनसी की कुर्सी पर एक्सटेंशन लेते रहे हैं। विभाग के अनेक लोगों की बद्दुआएं उनके साथ हैं। जबलपुर ईओडब्ल्यु ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की एफआईआर दर्ज की है। चौबे फिलहाल जबलपुर छोड़कर भोपाल आकर बस गये हैं। उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। इधर मंत्रालय में चर्चा है कि भाजपा सरकार शायद ही उनके खिलाफ चालान की अनुमति दे। मप्र में यदि सरकार बदलती है तो चौबे जी का शेष जीवन कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने में बीत सकता है।
*रामकथा से श्रीराम की कुर्सी खतरे में!*
हेडिंग पढ़कर चौंकिए मत! उज्जैन में तीन दिवसीय रामकथा कराने वाले महाराजा विक्रमादित्य शोध संस्थान के निदेशक श्रीराम तिवारी की कुर्सी खतरे में दिखाई दे रही है। तिवारी ने उज्जैन में रामकथा करने देश के बड़े कवि कुमार विश्वास को बुलाकर बैठे ठाले आफत मोल ले ली है। कुमार विश्वास ने कथा करते हुए व्यासपीठ से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को अनपढ बता दिया। इस पर बवाल तो होना ही था। कुमार विश्वास ने तो जैसे तैसे माफी मांगकर अपनी तीन दिवसीय कथा पूरी कर ली। लेकिन श्रीराम तिवारी की कुर्सी पर तलवार लटक गई है। खबर आ रही है कि भाजपा शासित राज्यों में सरकारी आयोजनों में कुमार विश्वास से परहेज किया जाता है फिर भी लगभग एक करोड़ का भुगतान कर श्रीराम तिवारी ने कुमार विश्वास को उज्जैन क्यों बुला लिया? अब भाजपा व संघ की नजर श्रीराम तिवारी की कुर्सी पर लग गई है। चर्चा है कि जल्दी ही तिवारी की छुट्टी हो सकती है।