ऋण माफी को कांग्रेस के विरुद्ध हथियार बनाएगी मध्‍य प्रदेश सरकार

*कमल नाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रक्रिया प्रारंभ तो की पर किसी का दो लाख रुपये तक ऋण माफ नहीं हुआ

भोपाल। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जिस किसान ऋण माफी का वादा करके सत्ता में आई थी, उसे अब सरकार कांग्रेस के विरुद्ध ही हथियार बनाएगी। इसके लिए जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों से उन किसानों की जानकारी एकत्र की जा रही है जो ऋण माफी न होने के कारण अपात्र हो गए।
ऐसे किसानों की संख्या साढ़े चार लाख से अधिक है। इनके घर-घर जाकर बताया जाएगा कि कमल नाथ सरकार की वादा खिलाफी के कारण ही आप अपात्र हुए हैं। अब आपको मुख्यधारा में लाने के लिए ब्याज का बोझ भाजपा सरकार उठाएगी। उधर, कांग्रेस ने फिर घोषणा कर दी है कि सत्ता में आने पर शेष किसानों की ऋण माफी की जाएगी।

प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी का बड़ा कारण किसान ऋण माफी योजना को माना जाता है। पार्टी के वचन से प्रभावित होकर किसानों ने कांग्रेस का साथ दिया और पार्टी ने 230 सदस्यीय विधानसभा में 114 सीटें जीतीं। सपा, बसपा और निर्दलीयों के समर्थन से सरकार बनाई।

तत्कालीन मुख्यमंत्री कमल नाथ ने ऋण माफी योजना लागू भी की लेकिन एकमुश्त ऋण माफ करने की जगह चरण निर्धारित कर दिए। दो लाख रुपये तक किसी भी किसान का ऋण माफ नहीं हुआ। उलटा इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि किसानों ने ऋण माफी की आस में प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों का ऋण नहीं चुकाया। इसके कारण वे सहकारी समितियों से मिलने वाली सुविधाओं के लिए अपात्र हो गए।

सहकारिता विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ऐसे किसानों की संख्या साढ़े चार लाख से अधिक है। इनकी बैंकवार जानकारी तैयार कराई जा रही है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा का किसान मोर्चा ऐसे किसानों से संपर्क करके उन्हें बताएगा कि आप कमल नाथ सरकार की वादा खिलाफी के कारण अपात्र हुए हैं। यही कारण है कि आपको शिवराज सरकार की बिना ब्याज के ऋण के साथ बीज-खाद भी नहीं मिल रहा है। जबकि, शिवराज सरकार ने यह योजना इसलिए लागू की थी ताकि खेती की लागत कम हो सके।

*ब्याज माफ करेगी सरकार, बजट में योजना होगी घोषित*
उधर, सरकार ने किसानों का ब्याज माफ करने के लिए समाधान योजना लागू करने की घोषणा की है। इसमें किसान द्वारा मूलधन चुकाने पर पूरा ब्याज माफ हो जाएगा और किसानों को फिर से सहकारी समितियों से ऋण, खाद-बीज प्राप्त करने की पात्रता मिल जाएगी। साथ ही जब भी सहकारी समितियों के चुनाव होंगे तब वे उसमें भाग लेने के लिए पात्र हो जाएंगे।

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