बजट २०२३ आने के बाद से एक यक्ष प्रश्न सबके सामने आ रहा है कि नए टैक्स स्लैब में जाएं या पुराने में रहें, आखिर कौन सा फायदेमंद होगा?
कई विशेषज्ञ नए को अपनाने की सलाह दे रहे हैं कि इससे सरलता रहेगी, टैक्स भी कम लगेगा और सरकार का भी यही फोकस है कि लोग पुराने स्लेब को छोड़ नए स्लेब को अपना लें.
दूसरी तरफ कुछ विशेषज्ञों की राय है कि पुराने स्लेब में नए के मुकाबले टैक्स कम लगता है यदि सभी तरह के निवेश की छूट ली जावे और पुराना स्लेब बचत को प्रोत्साहित करता है एवं हमें बताता है कि क्यों मेडिक्लेम पॉलिसी जरूरी है, क्यों बच्चों की शिक्षा पर खर्च जरूरी है, क्यों जीवन बीमा जरूरी है, क्यों अपना मकान होना जरूरी है, क्यों दान देना जरूरी है, आदि.
कहने का मतलब साफ है कि पुराने टैक्स स्लैब से न केवल टैक्स बचता है बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों को बचत और निवेश द्वारा सुरक्षा, सम्मान और आत्मविश्वास मिलता है.
क्या सरकार आपके बच्चे के पढ़ाई का खर्च भरेगी? क्या सरकार आपके परिवार के इलाज का खर्च भरेगी?
उच्च आय वर्ग के लिए टैक्स स्लैब कोई मायने नहीं रखता और गरीब वर्ग को सरकार सारी राहत दे ही रही है. बचता सिर्फ और सिर्फ मध्यम वर्ग है जो पिस रहा है और सरकार उसे समझा रही है कि सरलीकरण के नाम पर सभी निवेश और बचत छोड़ो, बस ख़र्च करों, ख़ुश रहो और जब जरुरत पड़े तो बचत के अभाव में कर्ज़ के लिए हाथ जोड़ों और चक्कर लगाओ.
जरूरत इस बात की थी कि पुराने टैक्स स्लैब को ज्यादा उदार और प्रोत्साहित करने वाला बनाता जाता. आज मां बाप के इलाज की आय से छूट मिलने की वज़ह से बच्चे मां बाप के इलाज में खर्च करते हैं और यह आयकर की धारा ८० डीडी का प्रोत्साहन ही तो है. इसी तरह दिव्यांगो के इलाज में छूट मिलना हमें अच्छे कार्य के लिए प्रोत्साहित करता है.
लेकिन आर्थिक नीति पर वित्त मंत्री और उनके नौकरशाह क्या अजीब सोच रखते हैं, यह समझ से परे है. मध्यम वर्ग के लिए मुश्किलें बढ़ाना ही इनका लक्ष्य लगता है.
पीएम कहते हैं कि इंटरनेट २० जीबी पहले ५०० रुपए का होता था, अब १० रुपए का होना मध्यम वर्ग के लिए राहत है. इसी तरह उनका कहना कि जन औषधि के माध्यम से दवाईयां सस्ती मिलना मध्यम वर्ग के लिए राहत है.
अब मध्यम वर्ग बताए कि व्यवहारिक रूप से क्या उपरोक्त तथ्य मध्यम वर्ग के जीवन को सरल करते हैं कि आज भी उनके लिए पेट्रोल डीजल गैस शिक्षा इलाज और रोजमर्रा के सामानों का उचित दर होना जरूरी है.
*खैर अब फिर से सवाल खड़ा होता है नई टैक्स रिजीम में फायदा या पुरानी टैक्स व्यवस्था ही सही?*
इसका जवाब आपकी फाइनेंशियल कंडीशन पर डिपेंड करता है.
अगर आप इनकम टैक्स एक्ट के अलग-अलग टैक्स सेविंग टूल्स का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो निश्चित तौर पर आपको पुरानी टैक्स व्यवस्था में ही रहना चाहिए, लेकिन अगर आप अपनी सैलरी से अच्छी-खासी बचत करके टैक्स सेविंग स्कीम में इन्वेस्ट नहीं कर पाते तो फिर नई टैक्स व्यवस्था में आना ही फायदेमंद होगा.
बेहतर होगा कि आप अपनी इनकम और इन्वेस्टमेंट के हिसाब से दोनों टैक्स रिजीम को समझ लें और फिर किसी एक्सपर्ट की मदद से आगे बढ़ें.
*पुराना टैक्स स्लैब हमारे देश के डीएनए के साथ मेच करता है जहां वित्तीय सुरक्षा निवेश और बचत की बहुत आवश्यकता होती है और नया टैक्स स्लैब विदेशी एवं विकसित अर्थव्यवस्था को मेच करता है जिसकी जरूरत फिलहाल हमारे देश में नहीं है यदि सही मायनों में मध्यम वर्ग को राहत देनी है तो!*
*सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर