सामान्य तौर पर ऐसा होता है, जब कोई बड़ा अधिकारी सेवानिवृत होता है, तो सेवानिवृत्ति के एक महीने पहले से उसके वित्तीय एवं प्रशासनिक फैसले के अधिकारों पर बंदिश हो जाती है। लेकिन मप्र के प्रशासनिक मुखिया इकबाल अभी भी इस तरह से फैसले ले रहे हैं, जैसे उनकी सेवानिवृत्ति में संशय है? वे फैसले-दर- फैसले लिए चले जा रहे हैं। उन्होंने पहले पीएस और एसीएस स्तर के अफसरों को बदला। इसके बाद आधे प्रदेश के कलेक्टर बदल डाले। सीएम सचिवालय में पदस्थ एक अफसर कहते हैं कि, सेवानिवृति के ठीक पहले मुखिया इकबाल जिस तरह से प्रदेश का पूरा निजाम बदलने में लगे हैं, इसका अर्थ है, उनके जाने में अभी संशय है। और फिर संभवत: सीएम ने कह दिया है कि तुमको जाना नहीं है, 2023 को बखूबी निपटाना है।
लेखक- महेश दीक्षित