यह उन लोगों के लिए सबसे बड़ा उदाहरण है जो अपने एकलौते बेटे को कैरियर बनाने के नाम पर विदेश भेज देते हैं। मप्र की पहली महिला मुख्य सचिव निर्मला बुच जिनके पास करोड़ों की दौलत है। जीवन की संध्या में गंभीर बीमार होकर एकाकी जीवन जीने को मजबूर हैं। जीवन व मृत्यु के बीच झूल रही इन “आइरन लेडी” का एकलौता बेटा विदेश में है। दूर के रिश्तेदार मेडम बुच की देखरेख कर रहे हैं। बेटा विदेश में बैठकर हालचाल तो रोज ही लेता है और जो संभव है वह उपचार की व्यवस्था भी करता है। हालात यह है कि मेडम बुच घर और अस्पताल के बीच चक्कर लगा रही हैं। डॉक्टरों की सलाह पर उपचार के लिए उन्हें मुम्बई भी ले जाया गया था, लेकिन वहां भर्ती करने से ही इंकार कर दिया गया। भोपाल में उनका इलाज बसंल अस्पताल के डॉक्टरों की देखरेख में हो रहा है। मप्र के प्रशासनिक गलियारे में बेहद ईमानदार व दबंग आईएएस की छवि रखने वाली मेडम बुच नहीं चाहतीं कि इस बीमारी के समय कोई उनसे सहानुभूति दिखाने आए। यानि जीवन पूरी तरह एकाकी हो गया है।