इस बार के निकाय चुनाव में जीत चाहे सत्ताधारी दल की हुई हो या विपक्ष में बैठी कांग्रेस की या ही फिर खाता खुला हो आम आदमी पार्टी और ओवैसी का, लेकिन जीत कर वो ही आए हैं जो जनता के बीच जाते थे और काम करते थे, न कि वो जो एसी कमरों में बैठकर अपनी राजनीति चलाते थे.
इस बार के प्रदेश निकाय चुनाव ने एक ट्रेंड देश में चिन्हित कर दिया है कि जीतेगा वही जो जमीनी स्तर पर जनता से जुड़ा है और कार्यकर्ता के भांति उनके साथ खड़ा हो.
जमाना गया जब जीत नामी केंडिडेट को खड़े करने पर मिलती थी. इस बार प्रदेश में जो कांग्रेस का प्रदर्शन रहा है वो प्रचार प्रसार नहीं बल्कि व्यक्ति के कार्यों की जीत है. तो दूसरी तरफ ग्वालियर और जबलपुर में नामी नेताओ के प्रचार प्रसार एवं खर्च के बावजूद हारना सिर्फ और सिर्फ टिकट वितरण की खामियां थी.
जनता ने अपना दम दिखाते हुए दर्शा दिया कि पार्टी कोई भी हो, वोट उसी को मिलेगा जो जनता से जुड़ा व्यक्ति होगा और सही मायनों में लोकतंत्र की जीत यही है.
सीए अनिल अग्रवाल