तेल के खेल में सरकार ने की आम आदमी की फजीहत

यह देश की विडम्बना ही तो है कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी हमारी सरकारें सिर्फ पेट्रोल डीजल की कमाई पर निर्भर है. बदलाव करने आई 2014 में नई सरकार खुद बदल गई लेकिन देश के हालात में कोई बदलाव नहीं हुआ, सिर्फ काम करने का तरीका बदला और योजनाओं के नाम बदलें.

आइये समझें तेल के खेल को, जो हम सभी को चौंका देगा, जानकारी आइल कंपनियों के वेबसाइट और राष्ट्रीय अखबारों में छपें तथ्यों से एकत्रित की गई है.

सरकार ने तेल से अपना खजाना खूब भरा है. बीते 3 साल में केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से करीब 8.02 लाख करोड़ रुपये की कमाई की है.

साल 2014 में क्रूड और पेट्रोल-डीजल

क्रूड की इंटरनेशनल कीमतें: 106 डॉलर/बैरल (मई 2014 में औसत)
पेट्रोल की कीमतें: (मई, 2014): 71.41 रु/लीटर (औसत)
डीजल की कीमतें: (मई, 2014): 55.49 रु/लीटर (औसत)
पेट्रोल पर टैक्स: 9.48 रुपये/लीटर
डीजल पर टैक्स: 3.56 रुपये/लीटर

अप्रैल 2022 में क्रूड और पेट्रोल-डीजल

क्रूड की इंटरनेशनल कीमतें: 109 डॉलर/बैरल
पेट्रोल की कीमत (5 अप्रैल,2022): 104.61 रु/लीटर
डीजल की कीमत (5 अप्रैल,2022): 95.87 रु/लीटर
पेट्रोल पर टैक्स: 27.90 रुपये/लीटर (इजाफा 203%)
डीजल पर टैक्स: 21.80 रुपये/लीटर (इजाफा 530%)

मोदी सरकार में एक्साइज ड्यूटी 530 फीसदी बढ़ी

जब 2014 में केंद्र में पहली बार मोदी सरकार बनी तो उस समय पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 9.20 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 3.46 रुपये प्रति लीटर थी.

लेटेस्ट डाटा की बात करें तो पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 27.90 रुपये प्रति लीटर और 21.80 रुपये प्रति लीटर है.

सरकार ने बीते साल दिवाली के आस पास ड्यूटी में कटौती की थी. उसके पहले यह 32.98 रुपये और 31.83 रुपये प्रति लीटर थी.

फिलहाल मोदी सरकार के पहले पारी की शुरूआत से अबतक लेटेस्ट ड्यूटी की बात करें तो पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 203 फीसदी से ज्यादा और डीजल पर करीब 530 फीसदी बढ़ी है.

पेट्रोलियम मिनिस्ट्री के तहत काम करने वाली पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के मुताबिक दिल्ली में पेट्रोल के लिए चुकाए जाने वाली कीमत की बात करें तो प्रति 100 रुपये पर ग्राहकों को 45.3 रुपये टैक्स देना होता है.

इसमें केंद्र सरकार को चुकाए जाने वाला टैक्स करीब 29 रुपये और राज्य सरकार को चुकाए जाने वाला टैक्स करीब 16.30 रुपये शामिल है.

वहीं महाराष्ट्र में प्रति 100 रुपये पर सरकारों को 52.5 रुपये टैक्स, आंध्र प्रदेश में 52.4 रुपये, तेलंगाना में 51.6 रुपये, राजस्थान में 50.8 रुपये, मध्य प्रदेश में 50.6 रुपये, केरल में 50.2 रुपये और बिहार में 50 रुपये के करीब टैक्स देना पड़ता है.

यानी आधे से भी ज्यादा कीमत आप सरकारों को टैक्स के रूप में देते हैं.

अब जनता मंहगाई के समय सरकार से अपेक्षा रखें तो क्या गलत है? जब सरकार ने भरपूर कमाया तो राहत भी दे. तेल की इंटरनेशनल प्राइस पिछले 8 सालों में वही है, लेकिन सरकारों ने खूब कमाया और लुटाया. इससे अच्छा तो यह होता कि सरकार पेट्रोल डीजल रेट टू रेट बेचती, अपनी सारी योजनाएं बंद कर दे – तब भी आम आदमी के हाथ में पैसे बचते और मंहगाई कम होती सो अलग.

लेखक एवं विचारक: सीए अनिल अग्रवाल

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