आयकर एवं जीएसटी रिटर्न, उनके निर्धारण और रेक्टिफिकेशन संबंधित समस्याओं पर बार बार लिखने के बावजूद भी कोई ध्यान नहीं दिया जाता. हर बार एक स्टेंडर्ड घिसा पिटा जबाब देकर पिंड छुड़ा लिया जाता है और करदाताओं की समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है. खासकर नान प्राफिट समितियों और रिफंड केसों में तो कोई बात समझी ही नहीं जाती है एवं पेनडेंसी बढ़ती ही जाती है.
यदि पोर्टल पर काम कर रहे अधिकारियों को नहीं समझ आ रहा है तो वे करदाताओं से संपर्क कर समस्या का हल निकाल सकते हैं और समस्या का सही मायनों में निवारण हो सकता है, लेकिन ऐसा लगता है आराम पंसद विभागीय अधिकारी शिकायत निवारण पर न काम करना चाहते हैं और न ही करदाताओं की समस्या का हल निकालना चाहते हैं.
जीएसटी में रजिस्ट्रेशन संबंधित समस्या अभी भी बनी हुई है जिसमें भौतिक सत्यापन में कई ऊल जलूल कारण बताकर करदाता को परेशान किया जाता है. इसी तरह आयकर विवरणी का यदि गलत निर्धारण हो गया है तो अभी भी रेक्टिफिकेशन बटन काम नहीं कर रही है और न ही शिकायत के बावजूद निर्धारण को ठीक किया जाता है.
शिकायत निवारण पर बार बार शिकायत के बावजूद भी कोई हल नहीं निकाला जाता और आखिर वित्त मंत्री ने कल बंगलूरू में बजट आउटरीच प्रोग्राम के तहत सेंट्रल बोर्ड और उनके अधिकारियों को जमकर झांड़ लगाई.
श्रीमती निर्मला सीतारमण ने साफ तौर पर कहा कि विभागीय अधिकारी शनिवार का दिन करदाताओं की समस्या सुनने और हल करने के लिए निकाले. हर अधिकार होने के बावजूद करदाताओं की समस्या पर वित्त मंत्री या वित्त सचिव को बोलना पड़े, ये शर्म की बात है.
क्यों नहीं करदाताओं की समस्या का निराकरण समयबद्ध तरीके से नहीं किया जाता. करदाता बार बार अपनी समस्या पोर्टल पर इंगित करता रहता है लेकिन विभाग उसका कोई हल नहीं निकालता और न ही समझने की कोशिश करता है. अब यह नहीं चलेगा और अधिकारियों को तुरंत एक्शन लेना होगा.
वित्त मंत्री के उपरोक्त कथन के बाद उम्मीद है करदाताओं की शिकायत निवारण और उसका हल तुरंत से तुरंत किया जावेगा एवं समस्या को समझने के लिए अधिकारी खुद करदाता या उनके प्राधिकृत वकील/ सीए से मोबाईल और ईमेल के द्वारा संपर्क करेंगे ताकि एक संवाद स्थापित हो एवं विभाग की विश्वसनीयता और बढ़े.
लेखक एवं विचारक:( सीए) अनिल अग्रवाल