राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने सतना में पुलिस द्वारा वाहनों पर की गई फर्जी चालान की जानकारी छुपाने के मामले में एसएम उपाध्याय थाना प्रभारी कोतवाली सतना और उनके CSP रहे सेवानिवृत्त सीताराम यादव, प्रत्येक पर ₹ 25000 ₹ 25000 का जुर्माना लगाया है।
वही एक अन्य प्रकरण में आर एस धुर्वे अधीक्षण यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा रीवा संभाग के उपर ₹25000 का जुर्माना लगाया है।
आर एस धुर्वे से सड़क निर्माण की जानकारी मांगी गई थी 2020 में उन्होने जानकारी देने के लिए फाइल आगे कार्यपालन यंत्री को बढ़ा दी थी। राज्य सूचना आयुक्त ने जब मामले की जांच की तो पता चला कि जिस कार्यपालन यंत्री को फाइल बढ़ाई गई थी उसका चार्ज भी आर एस धुर्वे के पास ही था। जानकारी 30 दिन के बजाय 1 साल बाद वो भी आयोग के आदेश के बाद विलंब से उपलब्ध कराने के चलते सूचना आयुक्त सिंह ने धुर्वे के ऊपर ₹25000 का जुर्माना लगाया।
वहीं सूचना आयोग द्वारा पुलिस अधिकारियों के ऊपर की गई जुर्माने की कार्रवाई सतना के चर्चित फर्जी नो पार्किंग चालान मामला से जुड़ा हुआ है। इसका खुलासा राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह की जांच में 2019 में हुआ था। सिंह ने पुलिस को चेताया था कि इस तरह की वसूली भ्रष्ट्राचार के लिए खुला न्योता है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए आयोग द्वारा 2019 मे ही इस मामले को मध्यप्रदेश के DGP और राज्य के महालेखाधिकारी के संज्ञान में लाया गया था। सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इस मामले में जब सतना पुलिस को तलब किया तो चौकाने वाली जानकारी सामने आई। सतना के तत्कालीन SP इक़बाल रियाज़ ने नगर पुलिस अधीक्षक के माध्यम से लिखित जवाब में सूचना आयोग को सूचित किया कि नो पार्किंग चालान नोटिस की कोई भी जानकारी पुलिस विभाग के पास उपलब्ध नही है। सतना पुलिस ने ये भी बताया कि उनके पास इसका कोई रिकॉर्ड नही है कि नो पार्किंग नोटिस कितनी मात्रा में पुलिस ने छपवाया और चस्पा नोटिस के एवज में कितने रुपए का चालान पुलिस ने काटा।
सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने आदेश में कहा था कि पुलिस विभाग के नियमो के अनुसार ही पुलिस द्वारा ट्रैफिक नियमो के उलंघन में चालानी करवाई की जा सकती है। इसके तहत गवर्नमेंट प्रेस से छपे चालान की हर रसीद की तीन कॉपियां होगी जिसमे से एक कॉपी ट्रेज़री दूसरी जिसके ख़िलाफ़ चलानी करवाई हुई और तीसरी कॉपी पुलिस विभाग के पास रहती है। इसके साथ ही चलानी कारवाई का पंचनामा भी बनता है।
राहुल सिंह ने सतना में उजागर इस फ़र्ज़ी चलानी करवाई पर अपने आदेश में कहा था कि अगर पुलिस विभाग के पास इस बात रिकॉर्ड नही है तो इस बात का पता लगाना असंभव है कि कितने लोगों को चालान इशू हुआ और कितने लोगों से रकम की वसूली कर के सरकारी ख़जाने में जमा किया गया। अवैध वसूली का मामला तब प्रकाश में आया जब सतना के जवाहर लालजैन ने RTI दायर कर के वर्ष 2016 में वाहनों पर चस्पा नो
पार्किंग चालान नोटिस के बारे में जानकारी मांगी। इस मामले में थानेदार कोतवाली सतना का बयान बहुत ही हास्यास्पद रहा। उसने कहा कि अधिकारी से इस बात की अपेक्षा नही की जानी चाहिए कि उसके पास हर समस्या का हल है। साथ ही उसने कहा कि जानकारी लोकहित में नही दी जा सकती। थानेदार ने आवेदक को सलाह दे डाली कि जानकारी चाहिए तो बाजार से मोटर व्हीकल एक्ट की किताब खरीद के पढ़ ले। जवाहरलाल जैन ने अपनी अपील में कहा कि सतना पुलिस मनमाने ढंग से जुर्माने की रसीद काटती है और वाहन चालकों को प्रभाव वश छोड़ दिया जाता है।
इस मामले में फैसला सुनाते हुए राहुल सिंह ने कहा कि 2012-13 में भी भोपाल राजधानी में तत्कालीन डीआईजी श्रीनिवास वर्मा ने ट्रैफिक चालान में उपयोग में लाई जा रही फ़र्ज़ी अवैध रसीद कट्टे का रैकेट पकड़ा था। सूचना आयुक्त का मानना है कि इस तरह की वसूली के चलते चालान की राशी शासन के खजाने में ना जाकर भ्रष्ट व्यवस्था ।की भेंट चढ़ जाती है। सूचना आयुक्त राहुल सिंह नेअपने आदेश में कहा कि अवैध चालान से सरकार को राजस्व का नुकसान भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि पुलिस की चलानी करवाई का रिकॉर्ड होना चाहिए और हैदराबाद जैसे शहरों में उपयोग में लाई जा रही आन लाइन बॉडी कैमरा से एक पारदर्शी, भ्र्ष्टाचार मुक्त व्यवथा का निर्माण हो सकता है।
मामले की गंभीरता देखते हुए सूचना आयोग ने 2019 मे ही इस मामले से जुड़े सारे दस्तावेज़, करवाई के लिए मध्यप्रदेश के डीजीपी और राज्य के महालेखाधिकारी को उपलब्ध कराए थे। ताकि आगे अवैध वसूली की वजह से सरकार को राजस्व का नुकसान ना हो।
अब इस प्रकरण में ततसमय आरटीआई आवेदक को सही जानकारी उपलब्ध नहीं कराने के लिए कोतवाली थाना प्रभारी एसएम उपाध्याय को 25000 का जुर्माना लगाया गया है। प्रकरण मे RTI आवेदन तत्कालीन CSP सीताराम यादव वर्तमान में भोपाल निवासरत के समक्ष दायर हुआ था।