आपको ध्यान होगा आरबीआई ने हाल में ही अपनी मौद्रिक नीति में रेपो रेट 4% और रिवर्स रेपो रेट 3.35% पर स्थिर रखा था और यह इसलिए कि सरकार ने आरबीआई को खुदरा मंहगाई दर को 4% के लेवल पर बनाए रखने की जबाबदारी दी है.
लेकिन आपको हैरानी होगी कि आम आदमी के लिए मुश्किल खत्म होती नहीं दिख रही है.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा सोमवार को जारी खुदरा मंहगाई दर का आंकड़ा जनवरी माह में 6% को पार कर 6.01% पर आ गया है.
खाने-पीने के कुछ प्रोडक्ट्स के महंगा होने का असर है. खुदरा महंगाई दर का यह स्तर रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे को पार कर गया है. कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स आधारित महंगाई दर दिसंबर 2021 में 5.66 प्रतिशत थी. वहीं, जनवरी 2021 में यह 4.06 प्रतिशत थी.
वही दूसरी ओर सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले महीने थोक मूल्य पर आधारित इन्फ्लेशन 12.96 प्रतिशत पर आ गया.
दिसंबर, 2021 में डब्ल्यूपीआई इन्फ्लेशन 13.56 प्रतिशत और जनवरी 2021 में 12.51 प्रतिशत था.
थोक महंगाई दर का आंकड़ा अप्रैल 2021 से लगातार दसवें माह डबल डिजिट में बना हुआ है, जो काफी चिंता की बात है.
आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2022 में खाद्य वस्तुओं की महंगाई बढ़कर 10.33 प्रतिशत पर पहुंच गई. वहीं, दिसंबर, 2021 में यह 9.56 प्रतिशत थी.
इसी तरह जनवरी महीने में सब्जियों की मूल्यवृद्धि 34.85 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो पिछले महीने 31.56 प्रतिशत थी.
दालों, अनाज और धान की महंगाई मासिक आधार पर बढ़ी है.
अंडा, मांस और मछली की महंगाई जनवरी में 9.85 प्रतिशत रही.
दूसरी ओर आलू के दाम माह के दौरान 14.45 प्रतिशत और प्याज के 15.98 प्रतिशत कम हुए है.
मैन्यूफैक्चर्ड वस्तुओं की महंगाई जनवरी में घटकर 9.42 प्रतिशत पर आ गई. दिसंबर, 2021 में यह 10.62 प्रतिशत थी.
जनवरी में फ्यूल और एनर्जी सेगमेंट में महंगाई दर 32.27 प्रतिशत रही, जो इससे पिछले महीने 32.30 प्रतिशत थी.
साफ है सरकार द्वारा जारी आंकड़े हर तरफ से आम आदमी की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं तो दूसरी तरफ सरकार अल्पकालिक राहत की बजाय 25 वर्षों की बात कर रही है. जरूरत आम आदमी को मंहगाई से लड़ने की ताकत देने की है न कि यह बताने की आप अभी तकलीफ में रहिये, यदि जिंदा बचे तो भविष्य में आपको फायदा होगा. यह आर्थिक नीति किसी भी हिसाब से समझदारी नहीं.
सीए अनिल अग्रवाल