वित्त मंत्रालय की हठधर्मिता और परेशान होता आयकर दाता

देश में पिछले साल 7.50 करोड़ रिटर्न फाइल हुई, इसमें से 6 करोड़ रिटर्न नान टैक्सेबेल थी यानि ज्यादातर सिंपल रिटर्न फार्म सहज और सुगम में फाइल होती है.

बड़ी रिटर्न यानि फार्म 3,5 और 6 उन 1.50 करोड़ रिटर्न में आती है जो 90% कुल टैक्स का योगदान देते हैं.

आयकर विभाग रोज आंकड़े जारी करता है कि इतने लाख रिटर्न फाइल हो रही है और प्रोसेस की जा रही है, लेकिन यह नहीं बताया जाता कि ये सब साधारण रिटर्न है. बड़ी रिटर्न आयकर पोर्टल की खामियों के कारण फाइल ही नहीं हो पा रही है.

डेट एक्सटेंशन व्यापारी नहीं चाहता और न ही टैक्स कंसलटेंट, लेकिन आपका पोर्टल यदि समय ले रहा है या खामियां है तो फिर तारीख बढ़ाने में यह कैसी हठधर्मिता?

प्रमुख परेशानियां जो आज भी पोर्टल पर व्याप्त है:

  1. ओटीपी मिलने में देरी
  2. रिटर्न 3-4 बार कोशिश करने के बाद फाइल हो रही है
  3. साफ्टवेयर को पोर्टल अभी भी अच्छा रिसपांस नहीं दे रहा
  4. पोर्टल से डायरेक्ट फाइलिंग करने पर कई वेलिडेशन एरर बताए जाते हैं
  5. पोर्टल की धीमी गति
  6. फाइलिंग स्कीमा में खामियों के चलते रिटर्न की एकनोलेजमेंट तुरंत जनरेट नहीं हो पा रही
  7. रिटर्न की प्रोसेसिंग त्रुटिपूर्ण ढंग से हो रही है जिसमें टीडीएस का उचित क्रेडिट नहीं दिया जा रहा
  8. फार्म 26एएस डाउनलोड करने में परेशानी
  9. एआईएस और टीआईएस डाउनलोड में देरी
  10. इन फार्म में दी गई जानकारी का करदाता के कागजों से मेल न खाना ओर विभिन्न जानकारी रिटर्न में उपलब्ध कराना

ऐसे में एक साधारण रिटर्न फाइल करने में जहाँ 10 मिनिट का समय लगता था, वही अब 45 मिनिट लग रहें हैं.

ऐसे में करदाता के लिए कास्ट और समस्या बढ़ना परेशानी का सबब तो बन ही गया है, साथ ही टैक्स कंसलटेंट के लिए सरदर्द और घंटो सिस्टम के रहमोकरम पर काम करना और जब डेट बढाने की बात हो तो विभाग एवं मंत्रालय ये बताए कि हम तो दूध से धुले है, गलती तो वकील और व्यापारी की है.

ये हठधर्मिता नहीं तो और क्या जहाँ परेशानी को न देखा जा रहा और न ही समझा जा रहा.

लेखक एवं विचारक: सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर

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