एमपीपीएससी में रिजर्व कैटेगिरी के छात्र अनरिजर्व कैटेगिरी से दे सकेंगे परीक्षा,
पिछले परीक्षाओं के परिणाम का रास्ता हुआ साफ
एमपीपीएससी ( MPPSC ) की परीक्षा में आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान छात्रों को गैर अनाआरक्षित कोटे से प्रवेश के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) के दखल के बाद अब आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस छात्र गैर आरक्षित कोटे से परीक्षा दे सकेंगे। हाइकोर्ट के फैसले के बाद अब पीएससी की पिछले दिनों हुई पीएससी (psc) की तमाम परीक्षाओं के रिजल्ट जारी होने का भी रास्ता साफ हो गया है।
हाईकोर्ट के पैसले के बाद अब कोर्ट के दखल के बाद अब आरक्षित यानी SC, ST और OBC तथा EWS के वो प्रतिभावान छात्र जो अनारक्षित वर्ग के समान निर्धारित प्रतिशत मार्क्स लाते हैं वो अब जनरल कैटिगिरी में भी PSC की मुख्य एवं साक्षात्कार की परीक्षा में परीक्षा में बैठ सकेंगे।
जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल मध्यप्रदेश में आरक्षित वर्ग के छात्र जो मेरिटोरियस माने जाते हैं , यानी जो केंडिडेट 90 प्रतिशत तक अंक लाते हैं उनका कहना है कि, उन्हें गैर आरक्षित सीट से फ़ाइट करने का मौका दिया जाए, लेकिन MPPSC इस बात के लिए तैयार नहीं है। मध्य प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन का कहना है कि ऐसे छात्र जो आरक्षित वर्ग के हैं और मेरिट में आते है उनको केवल इंटरव्यू में गैर आरक्षित सीट से कंसीडर किया जाएगा, लेकिन प्री और मेंस की परीक्षा आरक्षित कोटे से ही देना पड़ेगा लिहाजा इस बात को लेकर हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई थी।
ऐसे हुआ था नियमों का उल्लंघन।
मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा नवम्बर 2019 के राज्य सेवा एवं वन सेवा के खाली पदों को भरने के लिए विज्ञापन जारी किया गया था, जिसकी प्रारंभिक परीक्षा जनवरी 2020 में आयोजित की गई थी और 21 दिसम्बर, 2020 को संशोधित नियमानुसार रिजल्ट जारी किया गया था, जिसमे पीएससी द्वारा 113% आरक्षण लागू किया गया, साथ ही अनारक्षित वर्ग में सिर्फ अनारक्षित वर्ग के अभ्यरतियों को ही रखा गया, जबकि पुराने नियमों के अनुसार अनारक्षित वर्ग में आरक्षित एवं अनारक्षित वर्ग के प्रतिभावान छात्रो को भी चयन किया जाता है ये सामान्य नियम भी है। लेकिन संशोधित नियम कम्युनल रिजर्वेशन की व्यस्था करता है । लिहाजा इन नियमों को हाइकोर्ट में चुनोती देने अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर द्वारा एससी/एसटी/ओबीसी/ews के 70 छात्रों की ओर से याचिकाएं दाखिल की गई थी बाकी याचिकाएं ग्वालियर हाईकोर्ट से जबलपुर स्थान्तरित हुई है। जिसके बाद कुल 6 याचिकाओं में नियमों को दी गई थी चुनौती ।