देश में भ्रष्टाचार की बीमारी से निजात दिलाने,कई रंगीन सपने और भरपूर देशभक्ति,देशवासियों की चिंताओं से ओतप्रोत कई फ़िल्मो का निर्माण हुआ,जिन्हें दर्शको ने जमकर सराहा भी है। लेकिन ऐसी फिल्में आती है और चली जाती है। लेकिन न देशवासी सुधरने वाले है,न देश के तथाकथित भ्रष्ट नेता। सत्यमेव जयते के पहले भाग में भी मुख्य किरदार निभा रहे जॉन अब्राहम के निशाने पर भ्रष्ट पुलिस कर्मचारी और अधिकारी होते है। जिन्हें वह खुद ही अपने तरीके सजा देते हुए अंजाम देते है। इस फ़िल्म के अलावा फ़िल्म गब्बर, में भी कुछ इसी विषय को छेड़ा गया था। देश मे व्याप्त शिक्षा,स्वास्थ्य के व्यापारीकरण को दर्शाया गया था कि किस तरह निजी हॉस्पिटल माफिया मुर्दो का भी उपचार कर सकते है। बस चाहिए तो पैसा। वह फिर पीड़ित कैसे भी जुगत कर लाये। इसी तरह सत्यमेव जयते फ़िल्म की कहानी घूम रही है। फ़िल्म में अदाकार जॉन अब्राहम का जुड़वा रोल,दर्शको को काफी पसंद आ रहा है। क्योंकि इस दोहरी भूमिका ने वाकये में दर्शको को सोचने पर मजबूर किया है। सत्यमेव जयते 2 में देश मे व्याप्त समस्याओं को प्रस्तुत किया गया है। आखिर किस तरह देश भ्रष्टाचार, गन्दी राजनीति खराब सिस्टम का शिकार है। वैसे तो फ़िल्म अदाकार जॉन अब्राहम ने इस फ़िल्म में तिहरी भूमिका अदा की है। फ़िल्म को लेकर निर्माता निर्देशक और अदाकार की सोच है वह दर्शको तक पहुँच रही है। फ़िल्म में एक्शन सीन, वाकये में अद्भुत है। लेकिन इस फ़िल्म में सबसे बढ़िया बात लगी फ़िल्म का एक डॉयलॉग जो हर किसी के देशभक्ति के रोंगटे खड़े कर देगा। वह डॉयलॉग है,”न तन,न मन ,न धन सबसे पहले जन-गण-मन” जो कि उन नेताओं पर गहरा प्रहार है जिन्होंने देश की नब्ज में भ्रष्टाचार रूपी खून दौड़ा रखा है। वही उन देशवासियों को भी यह संकेत है कि अगर देश नही तो फिर किसी का कुछ होने न होने से मतलब नही
अमित त्रिवेदी पत्रकार