विधायक ही बिकने लगे हो जिस देश में उस देश के लोकतंन्त्र की हालत आप समझ सकते है। जो कानून बनाते है देश की जनता की सुरक्षा के लिए। दूसरा स्तंभ विधायकी दुवारा बनाये कानून का पालन करती है क्या अधिकारी जनता के साथ है ?तीसरा स्तंभ न्यायपालिका क्या आज न्याय सरकार के अधीन नही है ? चौथा स्तंभ जिसे बहुत नजदीक से जाना है मेने सब बिके हुए है। बिकने का स्तर इतना है कि आपको फर्जी पत्रकार भी घोषित किया जा सकता है। आप किस पत्रकार संघटन से जुड़े है ये भी आपकी पत्रकारिता पर प्रभाव डालता है। अगर इंदौर की बात करे तो कई पत्रकार्र संघटन सक्रिय है। इंदौर प्रेस क्लब,मालवा श्रम जीवी पत्रकार्र संघ,,स्टेट प्रेस क्लब,महिला पत्रकार्र संघटन लेकिन अगर आप इंदौर प्रेस क्लब के सदश्य है तो ही आप पत्रकार्र है बाकी सभी पत्रकार्र संघटन अवैधानिक है और इस दूरी का फायदा अधिकारी लगातार उठा रहे हैं पत्रकारों को फर्जी घोषित किया जा रहा है उनके खिलाफ केस बनाए जा रहे हैं जेल भेजा जा रहा है पत्रकारों के समर्थन में कोई भी पत्रकार संगठन आगे आने को तैयार नहीं है चापलूसी और अपने कुछ बड़े मीडिया समूह को फायदा पहुंचाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है तो क्या इंदौर प्रेस क्लब अब यह घोषित करेगा कौन पत्रकार है कौन पत्रकार नहीं इंदौ प्रेस क्लब को ये अधिकार किसने दिया कि वो पत्रकारों की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाए ? मिलावटखोरों,अवेध धंधों भ्रटाचारी अधिकारियों के खिलाफ खबर बनाने से पहले क्या अब प्रेस कलुबो की अनुमति लेना पड़ेगी ? इंदौर प्रेस क्लब पत्रकारों को सदस्यता नही देता। लेकिन माफियाओं को सदस्यता तुरंत मिल जाती है। इंदौर प्रेस लोकतंन्त्र के चौथे स्तंभ को खोखला कर रहा है सत्ताधारी पार्टियों के दबाव में। कब तक ईमानदार पत्रकारिता जीवित रहेगी ? अपने स्वार्थ सिद्धि के आगे नसमस्तक पत्रकार्र संघटन एक दूसरे को नीचा दिखा लोकतंन्त्र को खोखला कर रहे है। क्या हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रित देश बना रहेगा इन हालातों में ?
लेखक-अशौक रघुवंशी