पंजाब में कांग्रेस का अंर्तकलह सामने आते ही छत्तीसगढ़ में कुर्सी का किस्सा फिर शुरू हो गया। दाऊ खेमे ने पंजाब के माहौल को देखते हुए फिर से दबाव की राजनीति शुरू कर दी है। डेढ़ दर्जन विधायकों को भेजकर उनके साथ अन्य विधायकों का हस्ताक्षरित पत्र लेकर भेजा गया है। अब वे वहां पर प्रदेश प्रभारी पन्नालाल पु निया से मिलकर अपनी बात रखेंगे। पन्ना लाल से पहले भी वे मिलकर अपनी बात रख चुके हैं। उन्हें अब राहुल या सोनिया से मिलाने की उनकी सामर्थ्य नहीं होने के बावजूद दाऊ की बचकानी राजनीति को देख राजनीति के जानकारी कह रहे हैं कि हाईकमान वैसे भी एक मामले में फंसा हुआ है ऐसे में ये विधायक दाल भात में मुसल चंद बनने पहुंचे हैं। खैर जो जैसी सोच रखता है वैसे लोग ही उनके साथ जुड़ते हैं इसे इन डेढ़ दर्जन विधायकों ने साबित कर दिया है। उनके साथ कोई बड़ा नाम नहीं है जो राहुल और सोनिया से मिलने की जुगत रखता हो। ये सब कृषि वैज्ञानिक मंत्री के बुद्धि विवेक का परिणाम है । उनकी इज्जत तभी है हम नही रहेंगे तो तुम भी नही रहोगे। न हम ना दाऊ।इधर ये सब उल्टा पुलटा जो अभियान चलाया गया है वह चौबे जी की महान कृपा पर आधारित है।लगता है ये सब अब छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बड़े बदलाव के संकेत का कारण है।ये विधायक राहुल गांधी से मिलकर सीएम ना बदलने की मांग करेंगे( जब पिछली बार गए थे, तो उनके सामने सारी बैठकें हुई उसके बाद उनसे नहीं मिले तो अब किस प्रयोजन से मिलने की बात हो रही है समझ के परे हैं।) आने वाले दो दिन यहां का मीडिया भी कयास लगाने लगा हैं। टी एस सिंहदेव ने इस पर कहा है कि मुझे लगता है कि जब पहले विधायक दिल्ली गए थे तब यह साफ हो गया था कि परिवर्तन कहीं न कहीं होने वाला है । मुझे लगता है कि इसी बात को लेकर विधायक राहुल गांधी से मिलकर अपनी बात रखना चाहते हैं। टी एस सिंहदेव ने कहा कि जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहले से ही राहुल गांधी को छत्तीसगढ़ आने का न्योता दे चुके है तो मुझे नहीं लगता कि विधायकों को जाने की आवश्यकता थी । फिर 60 विधायको के दस्खत के साथ कैसा आमंत्रण है और कैसा विकास की बात है। दिल्ली दरबार ने अपना निर्णय नहीं सुनाया ऐसे में इन विधायकों के वहां जाने के बाद माहौल को देखते हुए कहीं निर्णय सुना दिया तो उनकी स्थिति क्या होगी इस पर विधायक विचार करें। राजनीति में वहीं अदावत बार-बार किया जाए तो उसे लोग गंभीरता से नहीं लेते। दूसरा पक्ष अभी शांति से इस बात को इंतजार कर रहा है कि राहुल अपने वादे को कब निभाएंगे। वैसे भी राजनीति में वादे और आश्वासन पूरी होने में यदि देर हो तो दूसरे पक्ष को समझ लेने चाहिए कि उसकी बिदाई अच्छे से होगी। लोगों को इंतजार है कि भोलेनाथ अपना त्रिनेत्र कब खोलेंगे। अगर गुस्से से खुला तो बना बनाया काम भी बिगड़ने में देर नहीं लगेगी और बन जाएंगे जगन रेड्डी।क्योंकि सब बर्दास्त होगा गांधी परिवार को आंख दिखाना कैसे होगा मंजूर।फिर आप भी शामिल हो जाना जी -23 की जगह बना केन जी-24।सभी को अब समय का इंतजार है। जिनके कंधे में बंदूक रखकर गोली चलाई जा चुकी है वैसे लोग अब दूसरों के कंधे को भी उन्हें सौंपने में कोई गलती नहीं कर रहे हैं। कांग्रेस के राज में यहीं खेल हो रहा है जिससे जनता अब ऊब चुकी है। पंजाब में पितृ पक्ष में शपथ लेने के बाद वहां का माहौल देख ही रहे हैं। नवरात्र आने दीजिए फिर छत्तीसगढ़ का नजारा कांग्रेसी देंखेंगे। अब उन्हें कौन बताए कि शनै,शनै मिलता है कर्मों का फल।अभी अभी कंल की ही बात है नान के दोनों जहाँपनाह अनिल और आलोक अपने कारनामो से दाऊ की कुर्सी खिसकाने में कोई कमी नही किये।राजा को तो तत्काल निलबिंत क्या हटा ही देना चाहिए था अब तक ,दोनो को।पर ये मॉन ही लिए है कि इन दोनों के कारण जाना पड़े या की तोहमत लगे कोई फर्क नही पड़ता क्योंकि धन, वैभव ,वसूली,रुपया, रेत,माइनिंग,सब इन्ही के कंधों पर है।
साभार जगत विजन