82000 करोड़ रुपये का कोई दावेदार नहीं

 

आप जानकार चौंक जाएंगे कि बैंकों, म्‍यूचुअल फंडों, बीमा कंपनियों और पीएफ में 82000 करोड़ रुपये की पूंजी पड़ी है जिसका कोई दावेदार नहीं है.

दरअसल, कई बार होता है कि कोई व्‍यक्ति कहीं निवेश कर देता है और इसके बाद उनकी मृत्‍यु हो जाती है.

अगर परिवार के सदस्‍यों या किसी करीबी को इस बारे में नहीं पता होता है तो इस रकम को कोई क्‍लेम नहीं कर पाता है.

*1. प्रोविडेंट फंड में पड़े हैं 26,500 करोड़ रुपये:*

इस 82,000 करोड़ रुपये में से सबसे ज्‍यादा रकम प्रोविडेंट फंड में पड़ा है.

पीएफ में करीब 26,500 करोड़ रुपये का कोई दावेदार नहीं है.

पीएफ नियमों के तहत, अगर किसी अकाउंट में अंतिम योगदान के तीन साल के भीतर पैसे नहीं निकाले जाते हैं तो वो अकांउट बंद हो जाता है.

अगर कोई अकाउंट बंद हो गया है और ऐसे ही 7 साल तक बंद पड़ा है तो इसका पूरा पैसा सीनियर सिटीजन वेलफेयर फंड में चला जाता है.

*2. बैंकों में पड़े 18,000 करोड़ रुपये का कोई दावेदार नहीं:*

भारतीय रिज़र्व बैंक के आंकड़ों से जानकारी मिलती है कि 31 मार्च 2019 तक बैंकों में पड़े 18,131 करोड़ रुपये का कोई हकदार नहीं है.

नियमों के तहत, जब कोई अकाउंट 10 साल तक बंद या इनऑपरेटिव पड़ा रहता है तो उसमें जमा पूरा पैसा इन्‍वेस्‍टर एजुकेशन फंड में चला जाता है.

बैंकों के पास बंद पड़े सेविंग्‍स अकाउंट में करीब 5 करोड़ रुपये जमा है.

जबकि, मैच्‍योर हो चुके फिक्‍स्ड डिपॉजिट्स में 4,820 करोड़ रुपये पड़ा है.

अभी तक इन पैसों को कोई दावेदार सामने नहीं आया है.

*3. बीमा कंपनियों के पास पड़े हैं 15,000 करोड़ रुपये:*

बीमा कंपनियों के पास भी बड़ी मात्रा में ऐसी पूंजी पड़ी है, जिनका कोई दावेदार नहीं है.

दरअसल, बीमा कंपनियों से बीमा खरीदने के बाद इनकी मैच्‍योरिटी पूरी हो चुकी है.

लेकिन अभी तक बीमा खरीदार ने मैच्‍योरिटी के बाद मिलने वाली रकम पर कोई दावा नहीं किया है.

प्राप्‍त आंकड़ों से पता चलता है कि बीमा कंपनियों के पास पड़े 15,167 करोड़ रुपये का कोई दावेदार नहीं है.

इसमें भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के पास 7,000 करोड़ रुपये पड़े हैं.

नियमों के तहत, अगर मैच्‍योरिटी के बाद भी इस बीमा राशि पर 10 साल तक क्‍लेम नहीं किया जाता है तो यह पूरी रकम सीनियर स‍िटीजन वेलफेयर फंड में चला जाता है.

*4. म्‍यूचुअल फंडों के पास 18,000 करोड़ रुपये पड़े हैं:*

म्‍यूचल फंड एसोसिएशन दारा दी गई जानकारी से पता चलता हे कि 1,200 करोड़ रुपये का कोई दावेदार नहीं है.

लेकिन, एफडी, इंश्‍योरेंस या किसी अन्‍य विकल्‍पों की तरह, जिन अकाउंट में यह पैसा पड़ रहा है, वह अकांउट बंद या इनऑपरेटिव नहीं होता है.

लेकिन बीते 10-15 साल के दौरान जिन फोलियो में मैच्‍योरिटी के बाद कोई लेनदेन नहीं हुआ है, उसे इनएक्टिव फोलियो कहा जाता है.

*5. डिव‍िडेंट के तौर पर भी 4,100 करोड़ रुपये का कोई दावेदार नहीं:*

इसके अलावाा स्‍टॉक्‍स पर मिलने वाले डिविडेंड के तौर पर भी बड़े रकम का कोई दावेदार नहीं है.

रिपोर्ट्स के अनुसार, मार्च 2021 तक स्‍टॉक डिविडेंड के तौर पर विभिन्‍न अकाउंट्स में 4,100 करोड़ रुपये का कोई दावेदार नहीं है.

सेबी के नियमों के तहत, अगर किसी डिविडेंड के तौर पर जारी पैसे पर 7 साल तक कोई दावा नहीं करता है तो यह इन्‍वेस्‍टर एजुकेशन फंड में चला जाता है.

*निवेशक का कानूनी वारिस सभी जरूरी डॉक्‍युमेंट्स जमा करने के बाद इस पर दावा कर सकता है.*

*इस रकम को कैसे क्‍लेम किया जा सकता है?*

आरबीआई के नियमों के तहत, सभी बैंकों को अपनी वेबसाइट पर बिना दावेदारी वाले पैसों का जानकारी देनी होती है.

बैंकों की वेबसाइट पर डिटेल्‍स चेक करने के बाद आप बैंक ब्रांच जाकर एक क्‍लेम फॉर्म भर सकते हैं.

इसके साथ ही डिपॉजिट की रसीद और केवाईसी डॉक्‍युमेंट भी देना होता है.

अगर किसी पुराने अकाउंट से जुड़ा क्‍लेम है तो इसमें कुछ परेशानियां आ सकती हैं.

ऐसे में आप अपने नजदीकी बैंक ब्रांच जाकर इसका सही समाधान प्राप्‍त कर सकते हैं.

अगर आप कानूनी वारिस या नॉमिनी हैं तो आप बैंक में डिपॉजिट रसीद, पहचान पत्र और खाताधारक के मृत्‍यु प्रमाणपत्र के साथ बैंक जा सकते हैं.

बैंक की ओर से सभी डॉक्‍युमेंट्स के वेरिफिकेशन के बाद इसे जारी कर दिया जाएगा.

किसी की मृत्‍यु के बाद उनके निवेश व अन्‍य पूंजी को कानूनी वारिस द्वारा हासिल करने की प्रक्रिया बहुत जटिल होती है.

ऐसे में सलाह दी जाती है कि पहले से नॉमिनी तय कर लिया जाए.

परिवार के किसी करीबी सदस्‍य को नॉमिनी बनाया जा सकता है.

इसके अलावा अगर कोई चाहे तो वसीयत भी लिख सकता है.

*वसीयत और आपके सारे निवेश एवं लेनदेन की जानकारी परिवार के किसी सदस्य को होना बहुत जरूरी है, अन्यथा पैसे होते हुए भी आपके जाने के बाद आपके अपने उन पैसों का कोई उपयोग नहीं कर पाएंगे.

*लेखक एवं विचारक: सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर

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