जबलपुर:जिला एवं सत्र न्यायालय में नेशनल लोक अदालत में निराकृत हुए कुल 2888 प्रकरण

 

35 करोड़ 83 लाख 55 हजार 038 रूपये का अवार्ड हुआ पारित।

जबलपुर:प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीष महोदय  नवीन कुमार सक्सेना के मार्गदर्षन में जिला न्यायालय जबलपुर, तहसील न्यायालय सिहोरा एवं पाटन तथा कुटुम्ब न्यायालय जबलपुर में दिनांक 10 जुलाई 2021, शनिवार को नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। प्राप्त जानकारी अनुसार कुल 2888 प्रकरणों का निराकरण करते हुये 35 करोड़ 83 लाख 55 हजार 038 रूपये का अवार्ड पारित हुआ। प्रकरणों के निराकरण के लिये कुल 67 खण्डपीठों का गठन किया जाकर न्यायालयों में लंबित 1357 प्रकरणों एवं 1531 प्रीलिटिगेशन प्रकरणों का निराकरण किया गया।
उक्त लोक अदालत में आपराधिक शमनीय प्रकृति के 130 प्रकरण, धारा 138 एन.आई.एक्ट के 242 प्रकरण, मोटर दुर्घटना क्षतिपूर्ति दावा के 662 प्रकरण, विशेष विद्युत न्यायालयों में लंबित विद्युत के 147 प्रकरण, पारिवारिक मामलों के 65 प्रकरण, सिविल मामलों के 56 प्रकरणों का निराकरण किया गया।
इस लोक अदालत में धारा 138 एन.आई.एक्ट में 5 करोड़ 90 लाख 34 हजार 689 रूपए के समझौता राशि के निर्णय किये गये, मोटर दुर्घटना क्षतिपूर्ति दावा के प्रकरणों में 23 करोड़ 94 लाख 10 हजार 550 रूपए के अवार्ड राशि पारित की गई। विद्युत के न्यायालयों में लंबित प्रकरणों में 32 लाख 23 हजार 926 रूपए की राजस्व वसूली हुई तथा विद्युत के प्रीलिटिगेशन के 1123 निराकृत प्रकरणों में 01 करोड 51 लाख 34 हजार 964 रूपए की राजस्व वसूली हुई। इसी प्रकार बैंक रिकवरी के 249 प्रीलिटिगेशन प्रकरणों में निराकरण पश्चात 1 करोड 77 लाख 44 हजार 700 रूपए की समझौता राशि लोक अदालत में प्राप्त हुई।
विशेष – इस लोक अदालत में निम्न प्रकरण उल्लेखनीय रहे है-
1) जिंदगी हमेषा एक सी नहीं रहती। बदलाव जीवन का नियम है। लेकिन कई बदलाव तो लोगों को सहजता से स्वीकार होते हैं और कई बदलाव के परिणामस्वरूप व्यक्ति विचलित हो जाते हैं। परिस्थितियों के बदलने पर व्यक्ति को भी अपने व्यवहार में परिवर्तन करना आवष्यक होता है। लोक अदालत के माध्यम से परिवार न्यायालय अपने इसी प्राथमिक उत्तरदायित्व का निर्वहन करता है। यद्यपि मध्यस्थता के माध्यम से भी परिवारों को जोड़ने का तथा एकजुट करने का कार्य अपनी निरन्तरता से चलता रहता है। पति-पत्नि के मध्य आपसी राजीनामे से स्वेच्छापूर्वक किये गये प्रयासों तथा न्यायालय की समझाईष से कई जोड़ों को उनके एक साथ निवास करने की स्थिति उत्पन्न हुई। लोक अदालत के चलने के दौरान ही न्यायालय से पक्षकारों को उनके साथ-साथ रहने के लिए जोड़ों को रवाना किया गया।

कुटुम्ब न्यायालय,जबलपुर के कुल 21 मामलों में राजीनामा की कार्यवाही निष्पादित की गयी। कुटुम्ब न्यायालय के प्रकरणों के निराकरण हेतु  अमिताभ मिश्रा, श्रीमती विधि सक्सेना एवं  षिवकातं पाण्डे प्रधान न्यायाधीषगण की कुल 03 खण्डपीठों का गठन किया गया था।
2) उन्नीसवें जिला न्यायाधीष  जी.सी. मिश्रा की खंडपीठ में मोटर दुर्घटना में पत्नी की मृत्यु होने से परेषान वृद्ध भीकमलाल जी काफी बीमार चल रहा था। कोरोना काल में उसकी आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गयी थी। दोनों पक्षों के समझाने के पष्चात् राजीनामा हो गया। वृद्ध भीमकाल का चेहरा प्रसन्नता से खिल उठा जब उसे लगभग 12,50,000 रू की क्षतिपूर्ति राषि प्राप्त हुई उसने भावुक होकर व्यक्त किया कि अब उसका ईलाज आसानी से हो जाएगा। उक्त राजीनामा में आवेदक के अधिवक्ता श्री राजेष राय एवं बीमा कंपनी की अधिवक्ता श्रीमती अर्पणा विज की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
3) लोकोपयोगी सेवाओं की लोक अदालत के पीठासीन अधिकारी  मनीष सिंह ठाकुर के समक्ष बीएसएनएल कंपनी के 06 प्रकरणो का निराकरण किया जाकर लगभग 24600/- राषि वसूली गई।
4)सुश्री नीलिमा देवदत्त की खण्डपीठ में राषि 15 लाख की चैक बाउंस का मामला था । खण्डपीठ के पीठासीन अधिकारी एवं सुलहकर्ता सदस्यों के विषेष प्रयास से उक्त प्रकरण को आपसी सुलह समझौता से निपटारा किया गया। इसके अतिरिक्त संबंधित खण्डपीठ ने 100 से अधिक एन.आई एक्ट के मामलों का निराकरण किया गया।
5) सुश्री अंजली शाह जेएमएफसी, जबलपुर के न्यायालय में एमजेसी के एक प्रकरण में धारा 12 घरेलू हिंसा से महिलाओं को संरक्षण अधिनियम के तहत एक्ट के अंतर्गत न्यायालय में अक्टूबर 2020 से लंबित था जिसमें दोनों पक्षकार विगत एक साल से अलग-अलग निवास कर रहे थे एवं उनका एक 8 वर्ष का पुत्र था। लोक अदालत में उपस्थित होने हेतु नोटिस से पक्षकारों को सूचित कर खण्डपीठ के समक्ष बुलाया गया था । खण्डपीठ के पीठासीन अधिकारी एवं सुलहकर्ता सदस्यों के प्रयास से दोनांे पक्ष साथ रहने के लिए तैयार होकर खुषी-खुषी एक साथ घर गये जिससे उनके अभिभावकगणों के मुख पर संतोष साफ दिखाई दे रहा था।

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