लोकसभा चुनाव से पहले की जमावट है मोदी मंत्रीमंडल का विस्तार

 

 

आखिरकार डेढ़ साल बाद सिंधिया को मिली केंद्रीय मंत्रीमंडल में जगह

एविएशन डिपार्टमेंट देकर मोदी सरकार ने सिर्फ रस्मादायगी निभाई

विजया पाठक, एडिटर जगत विजन:-
आखिरकार डेढ़ साल पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले मंत्रीमंडल विस्तार में केंद्रीय मंत्रीमंडल की कैबिनेट में स्थान मिल ही गया। मोदी सरकार में सिंधिया को सिविल एविएशन की जिम्मेदारी दी गई है। खास बात यह है कि पी. नरसिंहाराव सरकार में ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता स्व. माधवराव सिंधिया को भी सिविल एविएशन की जिम्मेदारी दी गई थी। सिंधिया को सिविल एविएशन मिलने के बाद राजनीतिक गलियारों में एक अलग तरह की चर्चा शुरू हो गई है। जानकारों का कहना है कि मोदी सरकार ने सिंधिया को उनकी छवि के अनुरूप ही पोर्टफोलियो सौंपा है। हमेशा जनता से दूरी बनाकर रखने वाले और हवा में उड़ने वाले सिंधिया को सिविल एविएशन देकर मोदी सरकार ने उन्हें मंत्रीमंडल के नाम पर सिर्फ लॉलीपॉप दे दिया गया है। इस मंत्रालय के जरिए उन्हें जनता की सेवा करने का कोई खास मौका नहीं मिलेगा। वैसे भी सिंधिया का जनता से कम ही वास्‍ता रहता है। हमेशा हवा में रहना पसंद करते हैं। शायद मोदी सरकार में उन्‍हें नागरिक उडडयन मंत्रालय का दायित्‍व सौंपा है। वहीं, देखा जाए तो मोदी सरकार में मप्र के ग्वालियर जिले से दो सांसदों को मंत्री बनने का अवसर मिला है। लेकिन सिंधिया का कद नरेंद्र सिंह तोमर के आगे बहुत छोटा है। नरेंद्र मोदी ने एक ओर जहां कई महत्वपूर्ण मंत्रियों से उनके पोर्टफोलियो छीनते हुए उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया है। वहीं, तोमर के पास पहले से मौजूद मंत्रालय पर विश्वास बरकरार रखा है। यही वजह है कि तोमर के पास अब भी महत्वपूर्ण विभाग दे रखा है।
केंद्र में सिंधिया को मिली जगह के बाद सचिन पायलट की उम्मीदें भी एक बार फिर जाग गई होगी। राजस्थान में भी हलचलें तेज हो गई है अब वो दिन दूर नहीं जब वहां बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है। कुल मिलाकर इस मंत्रीमंडल विस्तार को आने वाले समय में उत्तरप्रदेश, बिहार सहित अन्य राज्यों में होने वाले चुनाव को देखते हुए महत्वपूर्ण बताया जा रहा है और मोदी एंड ब्रिगेड ने नए मंत्रीमंडल में शामिल चेहरों का चयन भी चुनाव को ध्यान रखते हुए किया है। यह मोदी सरकार की 2024 के लोकसभा चुनाव की जमावट है। ताकि आने वाले समय में भाजपा को इसका फायदा मिले। इस विस्तार से अन्य विरोधी पार्टी खासतौर से कांग्रेस को बहुत कुछ सीखना चाहिए। सत्ता में बैठी भाजपा सरकार ने आने वाले चुनावों की जमावट शुरू कर दी है। वहीं, कांग्रेस पार्टी में फिलहाल ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है। यदि कांग्रेस को इस चुनाव में बेहतर रिजल्ट चाहिए तो उसे अभी से अपनी तैयारी को अंजाम देना शुरू करना होगा। क्योंकि आखिरी वक्त में जो भी निर्णय होते हैं वो सब सही हो यह जरूरी नहीं। इसलिए कांग्रेस पार्टी को आने वाले समय के लिए अपनी चुनाव की तैयारी को शुरू कर देना चाहिए।

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