कैबिनेट विस्तार से 2024 की तैयारी, क्षेत्रीय- जातीय समीकरण साधने पर जोर

 

 

नरेंद्र मोदी सरकार में बुधवार को हुए अहम बदलाव में सीधे तौर पर 2024 के लोकसभा और 2022 में होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की तैयारी दिख रही है। कैबिनेट विस्तार और बदलाव में क्षेत्रीय समीकरण साधने के लिए देश के 25 राज्यों को प्रतिनिधित्व दिया गया है। लैंगिक और जातीय समीकरण साधने की भी पूरी कोशिश की गई है। नए बदलाव के बाद अब मोदी मंत्रिमंडल में 11 महिला मंत्री हैं। इनके अलावा पिछड़ी जाति से 27, दलित समुदाय से 12, आदिवासी समुदाय से आठ और अल्पसंख्यक समुदाय से पांच मंत्री बनाए गए हैं।

इस बदलाव में उम्र के साथ- साथ शैक्षिक पृष्ठभूमि को भी अहमियत दी गई है। अब तक की यह सबसे युवा कैबिनेट मानी जा रही है। नई कैबिनेट में औसत आयु 58 साल है, जिसमें से 14 मंत्री 50 साल से कम आयु के हैं। पश्चिम बंगाल के कूचबिहार से आने वाले 35 साल के नीशीथ प्रमाणिक मोदी कैबिनेट के सबसे युवा मंत्री हैं। राजनीति में आने से पहले वे अध्यापक थे। वैसे एकाध को छोड़ दें तो मंत्री बने नेताओं की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता स्नातक है।

पूरी कैबिनेट में प्रोफेशनल्स की संख्या देखें तो 13 वकील, छह डॉक्टर, पांच इंजीनियर, तीन एमबीए डिग्रीधारी हैं तो सात पूर्व नौकरशाह हैं। मोदी ने नई कैबिनेट बनाने में अनुभव को ज्यादा तरजीह दी है। नई कैबिनेट में चार पूर्व मुख्यमंत्री हैं तो 18 पूर्व राज्यमंत्री। 39 मंत्री अपने- अपने राज्यों में विधायक रह चुके हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने गृह राज्य गुजरात में पिछले दो दशक से सत्ता में बैठी भाजपा में बढ़ती अंदरूनी खींचतान से कमजोर हो रहे संगठन को मजबूती देने के लिए पांच नेताओं को केंद्रीय कैबिनेट में लिया है। वहीं, महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी- कांग्रेस सरकार बनने के बाद अगले लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में भाजपा को मजबूती देने को चार नेताओं को केंद्रीय कैबिनेट में जगह दी है।

तैयारी 2022 : यूपी को खास तरजीह, अब हुए 13 मंत्री
कैबिनेट बदलाव में सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश को अहमियत दी गई है, जहां अगले साल विधानसभा चुनाव है। इसी को ध्यान में रख कर बुधवार को जिन 15 कैबिनेट मंत्रियों ने शपथ ली, उसमें यूपी के सात लिए गए हैं। छह मंत्री पहले से थे। इस तरह अब मोदी कैबिनेट में रक्षामंत्री राजनाथ सहित उत्तर प्रदेश के 13 मंत्री हो गए हैं। प्रमुख नाम महाराजगंज के छह बार के सांसद पंकज चौधरी हैं, जिनकी पूर्वांचल के कुर्मी वोट पर अच्छी पकड़ मानी जाती है।

कुर्मी वोट साधने के लिए ही अपना दल कोटे से अनुप्रिया पटेल को दोबारा कैबिनेट में जगह दी गई है। रुहेलखंड के बदायूं से आने वाले मोहनलालगंज से दूसरी बार के सांसद बीएल वर्मा भी पिछड़ी जाति के लोधी राजपूत समुदाय से हैं। इसके अलावा, आगरा से सांसद एसपी सिंह बघेल अनुसूचित जाति के धनगर समुदाय से हैं।

जबकि बुंदेलखंड के जालौन से पांच बार के सांसद भानु प्रताप वर्मा भी अनुसूचित जाति के कोरी समुदाय से आते हैं। लखीमपुर खीरी से दो बार के सांसद अजय कुमार मिश्रा को ब्राह्मण कोटे से मोदी कैबिनेट में जगह मिली है। वैसे पहले ब्राह्मण कोटे में कांग्रेस से भाजपा में आए शाहजहांपुर के पूर्व सांसद जितिन प्रसाद को कैबिनेट में लिए जाने की चर्चा थी। केंद्र की सत्ता तक पहुंचने का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है। भाजपा को भरोसा है कि 2022 में यूपी संभाल गई तो 2024 भी संभाल ले जाएगी।

Shares