पालकों के साथ छलावा है मुख्यमंत्री की घोषणा

 

मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की निजी स्कूलों द्वारा केवल ट्यूशन फीस लेने और उसमें बढ़ोतरी न करने की घोषणा सिर्फ खुद को पालकों व बच्चों का हितैषी साबित करने की झूठी कोशिश के अलावा कुछ नहीं। सरकार सिर्फ वही कर रही है जिसे लेकर पहले ही माननीय न्यायालय द्वारा आदेश जारी किए जा चुके हैं। उक्त आदेश का भी शत-प्रतिशत पालन नहीं किया जा रहा है। जानिए आखिर क्यों जागृत पालक संघ ने मुख्यमंत्री की घोषणा को पालकों और बच्चों के साथ हुआ छलावा माना है –

*– माननीय न्यायालय द्वारा पिछले वर्ष दिए गए आदेश और उनकी जमीनी हकीकत –*
1 . जागृत पालक संघ व अन्य संगठनों द्वारा स्कूल फीस को लेकर लगाई गई जनहित याचिका में माननीय उच्च न्यायालय मप्र द्वारा पिछले वर्ष दिनांक 04/11/2020 को आदेश पारित किया था। इस आदेश के अनुसार निजी स्कूल केवल ट्यूशन फीस ही ले सकेंगे। इसमें लाइब्रेरी, रीडिंग रूम, खेलकूद, लेबोरेटरी, कम्प्यूटर फीस, प्रेक्टिकल फीस, स्पोर्ट्स इवेंट फीस इत्यादि शामिल नहीं किए जाएंगे।
*यह है हकीकत -*
इंदौर सहित मप्र के अधिकांश निजी स्कूल ट्यूशन फीस के नाम पर अन्य शुल्क पहले से ही ले रहे हैं और रसीद भी ट्यूशन फीस के नाम से देते हैं। ऐसे सभी स्कूलों ने न्यायालय द्वारा प्रतिबंधित किए गए शुल्क ट्यूशन फीस में से नहीं घटाए या जिन्होंने घटाए भी तो वो नाममात्र के लिए।

2. माननीय न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि किसी भी बच्चे को फीस के कारण शिक्षा, परीक्षा या परीक्षा परिणाम से वंचित नहीं किया जा सकेगा।
*यह है हकीकत -*
प्रदेश के हजारों लाखों बच्चे आज भी समय पर फीस जमा नहीं होने के कारण पढ़ाई और परीक्षा परिणाम से वंचित हैं। सरकार केवल आदेश जारी कर देती है कि किसी भी बच्चे को फीस के लिए शिक्षा, परीक्षा या परीक्षा परिणाम से वंचित नहीं किया जाए। लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी से लेकर कलेक्टर, शिक्षा मंत्री व मुख्यमंत्री तक को शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई आज तक नहीं हुई।

3. न्यायालय ने आदेश में स्पष्ट किया था कि महामारी खत्म नहीं होने और भौतिक रूप से स्कूल शुरू नहीं होने तक निजी स्कूल केवल ट्यूशन फीस लेंगे और ट्यूशन फीस में बढ़ोतरी नहीं करेंगे। महामारी खत्म होने के बाद मप्र निजी स्कूल फीस अधिनियम के प्रावधानों का पालन करने के बाद नियमानुसार फीस बढ़ाई जा सकेगी।
*यह है हकीकत -*
राज्य सरकार ने स्वयं न्यायालय के आदेश की अवहेलना करते हुए दिनांक 01/03/2021 व 29/06/2021 को जारी आदेशों में निजी स्कूलों को फीस बढ़ाने की स्वतंत्रता दे दी। जब जागृत पालक संघ मप्र की ओर से फीस वृद्धि के विरोध में सरकार को न्यायालय के आदेश की प्रति भेजकर हकीकत दिखाई तब सरकार ने फीस बढ़ोतरी की छूट को वापस लिया।

*घोषणा के पीछे की यह है कहानी*
यदि अब भी सरकार न्यायालय के आदेशानुसार कार्यवाही नहीं करती तो उसके लिए न्यायालय में जवाब देना मुश्किल हो जाता। न्यायालय के आदेश की अवहेलना कर फीस वृद्धि के संबंध में निजी स्कूलों दी गई छूट के आदेश सरकार को भारी पड़ सकते थे। इस डर और राजनीतिक लाभ हासिल करने की नियत से मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने निजी स्कूलों की फीस वृद्धि पर रोक लगाने और केवल ट्यूशन फीस लिए जाने के संबंध में घोषणा की है।

*आखिरकार फिर से लेना पड़ी न्यायालय की शरण*
फिलहाल मुख्यमंत्री ने केवल ट्यूशन फीस लिए जाने और ट्यूशन फीस में बढ़ोतरी नहीं किये जाने के आदेश जारी नहीं किए है। सरकार द्वारा कोई न्यायोचित निर्णय नहीं लिए जाने पर पालकों की परेशानियों को देखते हुए जागृत पालक संघ द्वारा माननीय उच्च न्यायालय मप्र के समक्ष एक जनहित याचिका लगाई गई है। उक्त याचिका की प्रति शासन को मिल चुकी है और दिनांक 05/07/2021 को उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के समक्ष याचिका सुनवाई के लिए लगी थी जहां से याचिका को सुनवाई के लिए मुख्य खंडपीठ जबलपुर के समक्ष हस्तांतरित कर दिया गया है ।

*…और आप और हम पालक आज भी खाली हाथ*
जागृत पालक संघ ने सरकार से कई बार मांग की है कि न्यायालय के आदेशानुसार फीस लेने हेतु स्कूलों निर्देशित करें लेकिन सरकार द्वारा इस पर कोई कार्रवाई आज तक नहीं की। इसके परिणाम स्वरूप पालकों को अनुचित ट्यूशन फीस देना पड़ रही है। प्रदेश के हजारों बच्चे समय पर फीस जमा नहीं होने के कारण शिक्षा से वंचित है। इनके लिए हम संघर्षरत थे, हैं और न्याय मिलने तक संघर्षरत रहेंगे।

*सत्यमेव जयते*

सूत्र-पेरेंट्स एसोशिएशन गुजराती स्कूल

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