सूबे में सक्रिय शिवराज- नेताओं की नजर अब निगम-मंडलों की नियुक्तियों पर..

 

 

ना काहू से बैर

राघवेंद्र सिंह भोपाल:
मध्यप्रदेश की सियासत में विरोधियों का शमन कर अंगद की तरह जमे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान महाबली बने हुए है। मंत्रियों को जिलों का प्रभार देने के बाद अब संगठन के साथ मिलकर निगम- मंडलों में नेताओं की नियुक्ति की योजना पर काम कर रहे हैं। इसके लिए राजनीतिक प्रबन्धकों ने रणनीति पर काम भी शुरू कर दिया है। इस बीच मुख्यमंत्री कोरोना महामारी की तीसरी लहर को रोकने के लिए प्रशासनिक प्रबन्धों का जायजा लेने सक्रिय हो गए हैं। खास बार यह है कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा भी दौरे में तेजी ला रहे है। कुल मिलाकर सरकार और संगठन जनता व कार्यकर्ताओं के बीच जा रहे हैं। लेकिन भाजपा के मोर्चा-प्रकोष्ठों की टीम नही बन पाने से बड़ी संख्या में जो कार्यकर्ता पार्टी के लिए काम करते वे उदास हैं या घरों में बैठे हैं। इससे निचले स्तर पर पार्टी में कमजोरी दिखाई पड़ रही है। संभावित पंचायत व नगरीय निकाय के चुनावों के नजरिए से यह घाटे का सौदा हो सकता है।
राज्य की राजनीति में डेढ़ दशक से राज करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सबको साथ लेकर चलने की नीति के कारण अपने विरोधियों को शांत करने में कामयाब रहे हैं। पिछले एक महीने से उन्हें अस्थिर करने की असंतुष्टों की आग को उनकी शांति ने ठंडा कर दिया है। सादगी, समन्वय, संतुलन और सक्रियता के बूते वे ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी साधने में सफल में रहे हैं। उनके समर्थकों को मंत्री मंडल में मनचाही जगह और विभागों के साथ जिलों के प्रभार में खूब सन्तुष्ट कर दिया है। जो असन्तुष्ट हैं उनके लिए निगम- मंडलों में मनोनयन की बात कह कर कुछ महीनों के लिए ही सही शांत रहने का सूत्र तो उन्हें दे ही दिया है। इस फार्मूले में विधायकों से लेकर गैर विधायक दावेदार भी उम्मीद से हैं। इसके साथ मंत्रिमंडल विस्तार का ट्रम्पकार्ड तो हर मुख्यमंत्री की तरह उनके पास है ही।
संगठन से बेआबरू हुए रीवा और महाकौशल के नेताओं को काबू में करना या यूं समझें कि उन्हें शांत रखने के लिए निगम- मण्डल व मन्त्रिमण्डल विस्तार सैलून साल से कारगर हथियार रहा है। मुख्यमंत्री चौहान ने नाराज नेताओं को मनाने और कोरोना की तीसरी लहर को काबू में करने के लिए मालवा के इंदौर के बाद महाकौशल, बुंदेलखंड, विंध्य आदि के दौरे की योजना पर काम कर रहे हैं। इसके साथ ही वे प्रशासनिक सर्जरी के पहले देखना चाहते हैं कि अधिकारी जमीनी स्तर पर कितने सफल साबित हो रहे हैं। इससे कलेक्टर- एसपी से लेकर आईजी- डीआईजी की पोस्टिंग करने में आसानी होगी। इस नजरिए से भी सीएम की यात्राएं महत्वपूर्ण हैं। वैसे भी कोरोना काल के पहले मुख्यमंत्री मंत्रालय में कम मैदान में ज्यादा रहते थे। उनके फील्ड प्रेम को देखते हुए राजनीतिक- प्रशासनिक हलकों में कहा जाता था कि मुख्यमंत्री को मंत्रालय में ज्यादा समय देना चाहिए। यदाकदा मीडिया भी इस मुद्दे पर चुटकियां लेता था। बहरहाल बड़े दिनों बाद वे फील्ड मार्शल के अंदाज़ में फिर सक्रिय है। भाजपा में सिंधिया भी प्रदेश के खासे दौरे कर रहे है। इन दिनों वे नीमच  मन्दसौर इलाके के प्रवास पर है। चम्बल के बाद वे मालवा व राजस्थान से इस इलाके में अपना असर बढ़ाना चाहते है। सिंधिया रियासत काल में उज्जैन तक राजघराने का प्रभाव तो था ही।

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कमलनाथ की गैरहाजरी…
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की सक्रियता के कारण जनता व सियासी हलकों में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की गैरहाजिरी चर्चा का विषय बनी हुई है। भाजपा नेता डॉ हितेष वाजपेयी कहते हैं कोरोना जैसी महामारी के संकटकाल में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष जैसी अहम जिम्मेदारी निभाने वाले कमलनाथ की निष्क्रियता बेहद चिंताजनक है। डॉ वाजपेयी का कहना है संकट काल में जनता के बीच से कमलनाथ का गायब रहना कांग्रेस के लिए दुखद हो या न हो  लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। कांग्रेस के अंदरखाने में कमलनाथ की निष्क्रियता को लेकर चिंता है मगर विरोध प्रकट कर बिल्ली के गले में घण्टी कौन बांधे…

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युकां के लिए भूरिया का रोडमेप
प्रदेश युवक कांग्रेस अध्यक्ष डॉ विक्रांत भूरिया युवाओं को पार्टी जोड़ने के मिशन पर हैं। वे पहली बार युवक कांग्रेस को ब्लाक और वार्ड तक ले जाने के रोडमेप पर काम कर रहे हैं। इसका सीधा लाभ कांग्रेस को नगर निगम व नगर पालिका के चुनावों में मिलेगा। दरअसल उनकी संगठन की यह शैली भाजपा व संघ परिवार से मिलती जुलती है। इस तरह के एक्शन प्लान के पीछे वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की रणिनीति भी मानी जा रही है। इसके पीछे उनका मानना है प्रदेश में एक मजबूत आदिवासी नेता की जरूरत है ताकि आदिवासी सीटों पर कांग्रेस फिर अपनी पकड़ बना सके। कांतिलाल भूरिया के पुत्र डॉ विक्रांत सुलझे और सक्रिय नेता है। वे पांच प्रकोष्ठ भी युवक कांग्रेस में बना कर युवाओं को जोड़ने वाले हैं। इसमें खेल, संस्कृति, विधि और एक्टिविस्ट सेल प्रमुख है।

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मोदी के मन की बात 28 हजार बूथों तक…
प्रदेश भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात को देश की बात मानती है। इसलिए हर माह के अंतिम रविवार को होने वाली मोदी के मन की बात को जन जन को सुनवाने को एक अभियान के रूप में लिया गया है। इस काम का जिम्मा प्रदेश कार्यालय मंत्री राघवेंद्र शर्मा को सौंपा गया है ताकि राज्य करीब 65 हजार बूथों तक जनता व वोटर को मन की बात से जोड़ा जा सके। पहले प्रयास में 28 हजार से अधिक बूथों पर टीवी और रेडियो के जरिए बड़ी संख्या में आम जन ने  मन की बात सुनी। इस दौरान कोविड प्रोटोकाल का भी ध्यान रखा गया।

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