वृक्षारोपण के नाम फर्जी बिल बनाकर करोड़ों रुपया कमाने वाले जेल क्यों नहीं गए

 

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मेरी इस खबर का केंद्र बिंदु हमारे प्रदेश की 27000 हजार ग्राम पंचायतें है और मे इस समाचार के माध्यम से उन सभी ग्राम सरपंच और सचिव को हाथ जोड़कर प्रणाम करता हु जिन्होंने अपने सुनहरे सरपंची कार्यकाल मे बीते 15 सालो मे करोडो रूपये की शासकीय राशि खर्चा करके लाखो पौधे लगा दिए वो बात अलग है की उनमे से चंद पौधों को छोड़कर सभी कुपोषण का शिकार हो गए,, हमें भविष्य मे अपनी सुन्दर शीतल हवा दे पाते इसके पहले ही उनमे से कई मर गए अर्थात बिना देखभाल और समय पर खाद पानी के आभाव मे सुख गए
और कुछ बेचारे पंचायतो के रजिस्टरों मे ही बीते 15साल से लेहलाहते अपनी हवा सरपंच और सचिव को दे रहे है
अच्छा भाई साहब धंधा बढ़िया है किसी भी नर्सरी के फर्जी बिलो के आधार पर फर्जी मस्टर रोल भरकर प्रतिवर्ष वृक्षारोपण कराते रहिये किसी को जाँच करनी नहीं है पंचायत विभाग और इसका ऑडिट भी राम भरोसे हिन्दू होटल टाइप है
अरे साहब पर्यावरण के हत्यारे सिर्फ पंचायत ही नहीं है***********
मध्य प्रदेश का वन विभाग जो नर्मदा परिक्रमा यात्रा मार्ग के किनारे लाखो पेड़ लगाने वाला था पर प्रदेश का वन विभाग अगर ईमानदार हो जाये तो मजाल है की प्रदेश मे एक भी जंगल माफिया बच सके पर ऐसा संभव नहीं है
वृक्षारोपण रोपण दिवस पर सरकार जागरूकता लाने के उद्देश्य से सामाजिक संस्थाओ,, स्कूलों,, नेताओ मंत्रियो, अधिकारियो से पौधा रोपण कराती है
यही नहीं प्रदेश के हर विभाग के पास अपना वृक्षारोपण का एक अलग से बजट सुरक्षित होता है और यदि कोई बड़ी परियोजना निर्माण मे हजारों पेड़ काटना मजबूरी हो जाती है तो केंद्र सरकार के कैंपा फॉररेस्ट नामक एक मद होता है इसमें ठेकेदार के द्वारा पेड़ो की राशि जो वन विभाग सुनिश्चित करता है जमा कराई जाती है और फिर उस राशि से वन विभाग और अन्य विभाग वृक्षारोपण करते हैं यही नहीं प्रदेश का वन विकास निगम भी मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम और अन्य निगमों द्वारा दी जाने वाली राशि के आधार पर जमीन पर कम कागजो पर वृक्षा रोपण अधिक करता है
प्रदेश में आमतौर पर देखा गया है कि पेड़ों के रोपण के प्रति जागरूकता का अभाव है इसी कारण से हमारे प्रदेश में लाखों पेड़ काट दिए गए और कंक्रीट के जंगल बना दिए गए हमने दो करोड़ का मकान बनाया और गुलाब के दो छोटे-छोटे पौधे लगाकर हम चाहते हैं कि हमारे घर और प्रदेश का पर्यावरण सुरक्षित हो जाएं यह असंभव सी बात है
पौधारोपण के नाम पर घोटाले बाजी करने वालों के विरुद्ध जब तक सजा का प्रावधान नहीं होगा तब तक लोग पेड़ लगाने के प्रति जागरूक नहीं होंगे और घोटालेबाज डरेंगे नहीं.
मध्य प्रदेश से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग स्थानीय राजमार्ग जो एनएचएआई बनाती है या एमपीआरडीसी बनाती है या प्रदेश का लोक निर्माण विभाग आता है या अन्य कोई भी विभाग बनाता है सभी विभागों में प्रावधान है कि वह सड़क के किनारे पेड़ भी लगाएंगे अथवा बड़ी सड़कों के मध्य पेड़ के लिए टेंडर में एक अलग से प्रावधान होता है और राशि होती है किंतु दुर्भाग्यवश अधिकारी और ठेकेदार के बीच पकने वाली खिचड़ी के आधार पर पौधा रोपण का भुगतान कर दिया जाता है
मित्रों पर्यावरण हमारा है प्रदेश हमारा है हमें ही जागरूक बनना पड़ेगा और इस प्रकार के लोगों को ढूंढ कर सजा दिलवा नी पड़ेगी जो पौधारोपण के नाम पर फर्जी बिल बनाकर करो और उसे डकार जाते हैं
मनोज शर्मा कौशल

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