सात हजार दुर्लभ रोगों में से केवल 5 फीसदी का ही उपचार उपलब्ध:स्वास्थ्य मंत्रालय

 

 

दुनिया में 7000 दुर्लभ बीमारियां हैं मगर सबका इलाज उपलब्ध नहीं है। केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इनमें से केवल पांच फीसदी का ही फिलहाल इलाज उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि कोरोना की तरह ही दुर्लभ रोगों की भी जीनोम सीक्वेंसिंग का काम किया जा रहा है।

दुर्लभ रोगों के खिलाफ इस लड़ाई में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग सहयोग कर रहा है। वह बृहस्पतिवार को क्राउड फंडिंग और टीबी मुक्त कार्य स्थल से संबंधित वेबिनार को संबोधित कर रहे थे।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आठ फीसदी रोगी अलग-अलग किस्म के दुर्लभ रोगों से ग्रस्त होते हैं। उन्होंने ऐसे मरीजों की सहायता के लिए सभी कॉरपोरेट समूहों से वित्तीय योगदान की अपील भी की। राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति का हवाला देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि क्राउड फंडिंग के लिए एक राष्ट्रीय डिजिटल पोर्टल बनाया है। दुर्लभ रोगों की चिंता को देखते हुए राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति को कोविड काल में तैयार किया गया।

मंत्री ने कहा कि जिस तरह चेचक और पोलियो को जड़ से समाप्त किया है, उसी तरह दुर्लभ रोगों के खिलाफ कठिन जंग लड़नी है। देश में उपचार के लिए आठ उत्कृष्ट केंद्र बनाए हैं। इसके अलावा पांच निदान केन्द्र भी बनाए हैं।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने नई दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में पहला निदान केंद्र बनाया और अब देश के आकांक्षी जिलों में और निदान केन्द्र बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में टीबी के मामलों में 33 प्रतिशत कमी हुई है, जबकि मृत्यु के मामले 37 प्रतिशत कम हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कोविड काल में भी टीबी से ध्यान हटने नहीं दिया गया।

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