MP:कोविडकाल में खाली रहे रिकॉर्ड में 7600 से ज्यादा बेड बताने वाले 90% नर्सिंग अस्पताल

 

 

शहर के 85 नर्सिंग कॉलेजों में सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक 8500 से ज्यादा बेड होने के बाद भी कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर में 90 फीसदी अस्पताल बंद रहे। इनके 7600 बेड पर कोई मरीज भर्ती नहीं किया गया। अब कोरोना वायरस की संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ऐसे ही अस्पतालों में सुविधा बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने कुछ दिन पूर्व सभी संचालकों के साथ बैठक कर अस्पतालों में ऑक्सीजन व आईसीयू बेड तैयार करने का आदेश दिया है। भास्कर ने ऐसे ही नर्सिंग कॉलेज से संबद्ध कुछ अस्पतालों की वर्तमान स्थिति का जायजा लिया। पढ़िए भास्कर की रिपोर्ट

3 अस्पतालों से समझें… कोरोना की पहली और दूसरी लहर में ये रहे खाली

हर्षवर्धन मेमोरियल हॉस्पिटल: शिवनाथ सिंह कॉलेज परिसर में अस्पताल का संचालन होता है। कागजों में अस्पताल में पलंगों की संख्या 100 से ज्यादा है, लेकिन यहां कोविड का एक भी मरीज भर्ती नहीं किया गया। केवल ओपीडी चालू है। कलेक्टर के अल्टीमेटम के बाद वार्डों में ऑक्सीजन की लाइन बिछाकर 50 बेड तैयार किए जा रहे हैं। कॉलेज के संचालक केवी सिंह ने बताया कि अस्पताल में 10 डॉक्टर पदस्थ हैं।

नानक देव कॉलेज: कॉलेज परिसर में ही अस्पताल का संचालन होता है। लेकिन यहां मौजूद स्टाफ ने अस्पताल में प्रवेश करने से मना कर दिया। फोन पर कॉलेज के एक कर्मचारी से बात हुई, जिसने बताया कि कलेक्टर ने 30 ऑक्सीजन बेड तैयार करने का आदेश दिया है। सोमवार से इसकी तैयारी भी शुरू कर दी जाएगी।

अंश मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर: अंश कॉलेज परिसर में संचालित इस अस्पताल में ऑक्सीजन लाइन बिछाने के साथ ही अत्याधुनिक मॉनिटर लगाए गए हैं। अंश ग्रुप के चेयरमेन अमित जैन ने बताया कि यहां कोविड के 70 मरीजों का इलाज किया गया। भास्कर पड़ताल में यह बात सामने आई कि अंश अस्पताल का नाम कोविड अस्पतालों की सूची में नहीं है। केएमजे अंश अस्पताल में 145 मरीजों का इलाज किया गया, जो अन्य स्थान पर संचालित होता है।

कुछ कॉलेज संचालक अस्पताल शुरू करने खोज रहे बिल्डिंग... कलेक्टर के रवैये को देखते हुए नर्सिंग कॉलेज संचालक भी सकते में हैं। जानकारी के अनुसार जिन कॉलेजों के अस्पताल कागजों में संचालित हैं, उनके संचालक अब अस्पताल शुरू करने के लिए भवन की तलाश कर रहे हैं, ताकि वहां पलंग व उपकरण के साथ ही स्टाफ पदस्थ कर अस्पताल का सेटअप शुरू कर सकें।

एक्सपर्ट कमेंट, डॉ. अशोक मिश्रा, पूर्व विभागाध्यक्ष पीएसएम, जीआरएमसी

मानकों के अनुसार व्यवस्था हो तभी ये प्रयास सार्थक होगा
कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह का प्रयास तभी सार्थक होगा जब इन अस्पतालों में इंफ्रास्ट्रक्चर, उपकरण और मानव संसाधन (डॉक्टर, नर्स व पैरामेडिकल स्टाफ) मानक अनुसार हो। उदाहरण के लिए कोविड आईसीयू के लिए मेडिसिन के साथ ही एनेस्थीसिया व रेस्पिरेटरी मेडिसिन के डॉक्टर को अनिवार्य रूप से होना चाहिए। डॉक्टरों की एक कमेटी बनाकर इन अस्पतालों का निरीक्षण भी कराया जा सकता है।sabhar bhaskar

Shares