मजबूरी सभी की है लेकिन लापरवाहियां फिर कैसी? अभी कोरोना बाकी है मेरे दोस्त,बाजारों में लग रहा मेला,नही समझ रहे लोग

 

 

 

 

अमित त्रिवेदी पत्रकार इंदौर:

 

*एक जून से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई, देशभर में रियायती आदेश जारी हो रहे है,लेकिन अब सबसे अहम भूमिका जिस वर्ग ने निभानी है। वही जनता जनार्दन लापरवाहियों पर लापरवाही करते नज़र आ रही है। फिर नगर निगम चालान बनाये,या अस्थायी या सेंट्रल जेल भेजे,कुछ लापरवाहों को फिलहाल आगामी भविष्य को लेकर कोई चिंता फिकर नही दिखाई दे रही है। ऐसा दूसरी लहर के पूर्व भी देखा गया था,कि जैसे ही लॉक डाउन के बाद शहर और देश अनलॉक किया गया। उसका नाजायज लाभ हर किसी ने उठाया। हर कोई कोरोना को भूल चुका है। अब तो कई ऐसे है भी जिन्होंने मास्क तक लगाना बंद कर दिया है। शहर की कुछ दुकानों पर सोशल डिस्टेंस के नियम कायदे बिल्कुल गायब दिख रही है। जबकि शहर की सड़कों पर बेवजह या कामकाज से घूमने वालों की भीड़,वाहनों की संख्या 1 जून से कहीं ज्यादा दिखाई देने लगी। मैं दोबारा दोहरा रहा हूँ कि दूसरी लहर के पूर्व भी ऐसी ही कुछ लापरवाहियां बरतनी शुरू कर दी गयी थी। नियमों की अनदेखी की गई। उसके बाद क्या हुआ क्या आपको या सभी को नही पता कि कोरोना ने फिर कितनी तबाही मचाई थी। इन सभी कड़वे अनुभवों के बावजूद भी आप मैं या अन्य कोई कोरोना को लेकर जागरूक नही रहता है तो फिर यह मान लिया जाए कि हमे इंसानी जीवन की कोई परवाह नही। जिनमे दूसरे, उनके  परिजन तो क्या हमें अपनो का ही ख्याल नही है। फिलहाल नए आदेश के बाद तो फिर एक बार कुछ लापरवाह जाहिलो ने यह मान लिया है कि कोरोना तो गया। लेकिन यह सवाल मैं आप सभी और ऐसे लापरवाहों से पूछता हूँ कि सच मे कोरोना गया,या अभी उसका तीसरा सितम बाकी। लेकिन अब आप लापरवाहियां करते है तो यह सोच लेना कि अब तीसरी लहर में जानकारों के मुताबिक बच्चो की बारी है। ऐसे हालातो की पहले से चेतावनी मिलने के बावजूद इस तरह की अनदेखी यकीनन,एक गैर जिम्मेदार नागरिक पिता,भाई,काका,मामा, होने के संकेत है जिनको अपने ही बच्चों की फिक्र नही है। जब मालूम पड़ गया है कि तीसरी लहर अभी आना बाकी है। ऐसे हालातो में सबकुछ समझते हुए भी खुद और अपनों को गड्डो में डालना,यकीन मानिए आपको ईश्वर कभी माफ करने वाला नही है। मजबूरी इस वक्त हर किसी की है,लेकिन जहां तक हो सके बस अपना और अब अपने बच्चों, परिजनों का ख्याल रखिये क्योंकि यह कड़वा सत्य है कि आपके खुद के अलावा उनका कोई नही और ध्यान भी आप ही रख सकते है। इसलिए अंतिम बार गुजारिश करता हूँ कि कृपया जागरूकता का परिचय देवे न कि अपने और अपनो को खतरे में डाले।*

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