कोरोना की दूसरी लहर लगातार लोगों को अपनी चपेट में लेती जा रही है. गुजरात में मामले तेजी से बढ़ रहे हैं तो कोरोना के लिए टेस्टिंग सिस्टम RT-PCR को लेकर भी अब सवाल खड़े होने लगे हैं.
अब तक माना जाता था कि कोरोना के लिए RT-PCR में जो रिपोर्ट आती है वही फाइनल रिपोर्ट मानी जाती है, लेकिन कोरोना की नई स्ट्रेन इतनी खतरनाक है कि इस स्ट्रेन में कोरोना के पहले स्ट्रेन में देखे जाने वाले लक्षण सर्दी, खांसी या बुखार ना हो तब भी लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं.
डॉक्टरों की माने तो इस नए स्ट्रेन में RT-PCR रिपोर्ट भले ही निगेटिव हो लेकिन अगर सर्दी, खांसी, जुकाम, आंखों में जलन, एलर्जी, स्किन में रेसीस या फिर सांस लेने में दिक्कत होती है तो आपका रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव हो सकता है.
RT-PCR निगेटिव रिपोर्ट पर भर्ती नहीं
ऐसा ही एक मामला अहमदाबाद में भी देखने मिला जहां जतिन देसाई (59) की RT-PCR टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आया तो उन्होंने सिम्टम्स होने की वजह से दो बार RT-PCR टेस्ट करवाया और दोनों ही बार उनका रिपोर्ट निगेटिव आया लेकिन जब दिक्कतें बढ़ने लगी तो उन्होंने चेस्ट का सिटी स्कैन करवाया तो पता चला कि उनके लंग्स में कोरोना वायरस का इंफेक्शन बढ़ गया है.
RT-PCR टेस्ट को आखिरी बताने वाली सरकारी नियमों के मुताबिक उन्हें अस्पताल में एडमिट नहीं किया गया क्योंकि उनका RT-PCR रिपोर्ट निगेटिव है जबकि जतिन देसाई के रिलेटिव का कहना है कि बार-बार हमने अस्पताल से कहा कि हमारा चेस्ट सीटी स्कैन पॉजिटिव दिखा रहा है फिर भी उन्होंने एडमिट नहीं किया जिस वजह से अब हमें प्राइवेट अस्पताल के चक्कर काटने पड़ रहे हैं.
ऐसा ही दूसरा मामला सामने आया अहमदाबाद से. 47 वर्षीय एक शख्स को बुखार के बाद अपना पहला RT-PCR इसी महीने की चार तारीख को करवाया था हालांकि RT-PCR रिपोर्ट निगेटिव आया लेकिन दिक्कत दिन ब दिन बढ़ती गईई, जिसके बाद डॉक्टर की सलाह पर चेस्ट का सीटी स्कैन करवाया और उसमें सीटी लेवल काफी हाई आया, जो की सीधा कोरोना पॉजिटिव बताता है.
RT-PCR टेस्ट निगेटिव होने पर एक्सपर्ट डॉक्टर पार्थ पटेल का कहना है कि कई बार यह देखने को मिला है कि मरीजों में आर्टिफिशियल रिपोर्ट भले ही निगेटिव हो लेकिन लंग्स में कोविड वायरस का असर देखने मिलता है और यह असर इतना ज्यादा होता है कि जब तक पेशेंट को पता चलता है तब तक इंफेक्शन काफी अंदर तक फैल जाता है.
अहमदाबाद के ही डॉक्टर अतुल पटेल जो खुद सरकार की कोविड टास्क फ़ोर्स के सदस्य हैं, का कहना है कि युवाओं में इस तरह के सिम्टम्प्स काफी ज़्यादा देखने मिल रहा है, अब तक कई ऐसे मरीज भी सामने आए हैं जिनका RT-PCR पॉजिटिव नहीं होता लेकिन हालात बेहद गंभीर होते हैं.