MP:अधिकांश अस्पतालों में कल सुबह तक का ही ऑक्सीजन स्टॉक!, स्थिति नहीं सुधरी तो अराजकता फैलने की आशंका

*कोरोना संक्रमितों के लिए इंजेक्शन रेमडेसिविर व ऑक्सीजन दोनों ही सबसे महत्वपूर्ण,पर उपलब्धता ही नहीं!*

*राजधानी भोपाल के अधिकांश अस्पतालों में कल सुबह तक का ही ऑक्सीजन स्टॉक!स्थिति नहीं सुधरी तो अराजकता फैलने की आशंका,*

*मुख्यमंत्री जी, कहां है, बाबई का 200 टन प्रतिदिन की क्षमता वाला प्लांट?*

कोरोना संक्रमितों का मुफ्त इलाज़ भी हो -के.के.मिश्रा

भोपाल-9 अप्रैल,2021,

प्रदेश कांग्रेस महामंत्री व मीडिया प्रभारी के.के.मिश्रा ने बेकाबू हो रहे कोरोना संक्रमण के दौरान प्रदेश के सभी अस्पतालों में अपर्याप्त बेड, ऑक्सीजन व रेमडेसिविर इंजेक्शन की अनुप्लब्धता पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि गंभीर रूप से कोरोना संक्रमितों के लिए ऑक्सीजन व रेमडेसिविर इंजेक्शन ही सबसे महत्वपूर्ण है, जिसे 5 दिनों में 6 इंजेक्शन किसी भी गंभीर संक्रमित को लगाया जाना जरूरी होता है, इसकी उपलब्धता लगभग नगण्य हो चुकी है! राजधानी भोपाल जहाँ 25 से 30 विभिन्न अस्पतालों में जिंदगी मौत से संघर्ष कर रहे करीब 2000 पेशेंट भर्ती हैं, वहां शनिवार सुबह तक का ही ऑक्सीजन स्टॉक उपलब्ध है। गुजरात व नागपुर ने मप्र को अपनी सप्लाय देने से हाथ ऊंचे कर दिए हैं। लिहाज़ा,स्थिति विस्फोटक व अराजक होने की आशंका है? मिश्रा ने सभी कोरोना संक्रमितों के निःशुल्क उपचार करवाये जाने की घोषणा का आग्रह मुख्यमंत्री जी से किया है,क्योंकि इलाज मंहगा होने की स्थिति में परिजन परेशान हो रहे हैं।

मिश्रा ने कहा कि पिछले कोरोनाकाल के कुछ सामान्य होने के बाद से ही डब्ल्यू.एच.ओ. (WHO) ने आगाह किया था कि कोरोना संक्रमण अभी समाप्त नहीं हुआ है, इसकी दूसरी लहर काफी तीव्र होगी, इस चेतावनी के बाद प्रदेश सरकार कहां सोई हुई थी ? यही नहीं इसी दौर में मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह ने होशंगाबाद जिले के बाबई में 200 टन प्रतिदिन का उत्पादन करने वाले प्लांट की स्थापना किये जाने की घोषणा भी की थी, उत्पादन तो दूर एक साल में उसका शिलान्यास भी नहीं हो सका! मुख्यमंत्री जी,ऐसी थोथी घोषणा का दोषी कौन है? उन्होंने कहा मुख्यमंत्री जी, कृपाकर अब “मेरी सुरक्षा-मेरा मास्क” जैसे प्रचार अभियान ने इतर समूचे प्रदेश में पर्याप्त अस्पताल, बेड, ऑक्सीजन,इंजेक्शन,डॉक्टरों,नर्सो,पैरा मेडिकल स्टॉफ आदि की व्यवस्था/उपलब्धता का अभियान चलाइये। इंसान जिंदा रहेगा तो ही आपका “मेरी सुरक्षा-मेरा मास्क” अभियान सार्थक होगा। मास्क को कफ़न के कपड़े में बदलने से रोकिए।

 

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