भोपाल । शहर में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढती जा रही है। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में विकट स्थिति उत्पन्न हो रही है। सरकारी अस्पतालों में भर्ती होने के लिए बिस्तर तक नहीं बचे हैं। इसके बावजूद शहर में लोग कोरोना गाइड लाइन का पालन नहीं कर रहे हैं। शहर के निजी और सरकारी अस्पतालों में कोरोना संक्रमित 102 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। हालत यह है कि किसी भी सरकारी अस्पताल में वेंटिलेटर वाले बिस्तर खाली नहीं है। हमीदिया अस्पताल में दो दिन पहले ही 60 बिस्तर का आइसीयू बना है। यहां सभी बिस्तर भर गए हैं। वेंटिलेटर में सबसे ज्यादा 38 मरीज जेके अस्पताल में हैं। एम्स में 10 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। शहर के निजी और सरकारी अस्पतालों के आइसीयू (गंभीर मरीजों के लिए) और एचडीयू (हाई डिपेंडेंसी यूनिटी-कम गंभीर मरीजों के लिए) में 1082 बिस्तरों में 652 यानी 60 फीसद भरे हुए हैं। इसके बाद भी लोग चेत नहीं रहे हैं। हालत यह है कि जांच कराने और टीका लगवाने के लिए पहुंचने वाले लोग भी शारीरिक दूरी नहीं रख रहे हैं। कुछ मास्क भी नहीं लगा रहे हैं। शहर के 15 अस्पतालों में आइसीयू/एचडीयू में एक भी बिस्तर खाली नहीं है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है, इसी तरह से सक्रिय मरीज बढ़े तो हफ्ते भर बाद एचडीयू/आइसीयू में बिस्तर नहीं मिलेंगे। भोपाल में गुरुवार को होम आइसोलेशन में रह रही 90 साल की महिला की मौत हो गई है। हांलाकि, महिला के परिजन का कहना है कि रायसेन जिले में खेत में बने एक मकान में उसे शिफ्ट कर दिया था। निगरानी नहीं होने की वजह से हर दिन करीब 35 मरीजों को होम आइसोलेशन से अस्पताल में शिफ्ट करना पड़ रहा है। उन्हें दवाएं भी खुद खरीदनी पड़ रही हैं, जबकि शासन ने कुछ सामान्य दवाएं मुफ्त उपलब्ध कराने को कहा है। हेल्थ हेल्पलाइन नंबर 104 पर भी मरीजों को सलाह नहीं मिल पा रही है।पिछले साल होम आइसोलेशन वाले मरीजों की जांच व इलाज के लिए 45 डॉक्टरों की टीम थी। यह टीम खुद होम आइसोलेशन वाले मरीजों के घर जाकर उनकी जांच करती थी। बुखार और ऑक्सीजन का स्तर देखा जाता था। अब पूरे भोपाल के लिए सिर्फ 24 टीमें हैं। मरीज के बुलाने पर ही टीम उनके घर पहुंचती है।