कहो तो कह दूँ= अपना “कोरोना” ही तो है “लोकतंत्र ” का सबसे बड़ा हिमायती

 

 

 

कहो तो कह दूँ= अपना “कोरोना” ही तो है “लोकतंत्र ” का सबसे बड़ा हिमायती

चैतन्य भट्ट:

एक बात तो जरूर है कि भले ही कई राजनैतिक दलों को ये लगता है कि देश में लोकतंत्र नहीं बचा है या उसकी हत्या हो रही है लेकिन अपना कोरोना लोकतंत्र को बचाने के लिए जी जान से जुटा हुआ है, उसने लोकतंत्र के नाम पर चल रही अराजकता को पहचान लिया है, दरअसल वो एक ऐसे देश “चीन” से आया है जंहा तानाशाही है, हर बात पर रोक है सरकार के खिलाफ कोई कुछ न तो बोल सकता है न कर सकता है, लेकिन जब कोरोना अपने साथियो के साथ “इंडिया” आया तब उसे पता चला कि लोकतंत्र में क्या मजा है l हर आदमी अपनी मर्जी का मालिक है, बीच चौराहे पर खड़ा होकर सरकार को सैकड़ों गालियां दे सकता है , जंहा चाहे कब्जा कर सकता है, किसी भी कानून का उल्लंघन कर सकता है, तमाम नियम कानूनों को धता बतला सकता जंहा चाहे टपरा ठोंक सकता है, बीच सड़क पर दुकान लगा सकता है और तो और जब चाहे चका जाम कर सकता है l कोरोना ने जब ऐसी स्वतंत्रता देखी तो उसे महसूस हुआ कि लोकतंत्र में कितना आनंद ही आनंद है, बस उसी दिन से वो लोकतंत्र का सबसे बड़ा हिमायती बन गया, उसने अपने साथ चीन से आए तमाम साथियों की मीटिंग बुलाकर साफ़ साफ़ निर्देश दे दिए कि देखो भाई अपन लोगों को लोकतंत्र की रक्षा करना है और लोक तंत्र की रक्षा कैसे हो सकेगी उसके लिए “चुनाव” जरूररी है इसलिए “विद्या माई” की कसम खालो कि जंहा जंहा चुनाव हो रहे हैं, चाहे वो आम चुनाव हो या फिर उप चुनाव, अपने को उस इलाके में जाना तो दूर की बात उस तरफ देखना भी नहीं है। नेताओं को खूब मनमानी रैलियां करने दो, कार्यकर्ताओं को एक दूसरे के ऊपर चढ़ने दो, जनता की ठसाठस भीड़ होने दो कोई मास्क न लगाए हो तो भी अपने को कुछ नहीं करना है क्योकि यदि लोकतंत्र होगा तो अपने को भी सब कुछ करने का भरपूर मौका मिलेगा, “कोरोना हेड” ने अपने तमाम साथियों को ये भी कह दिया कि जंहा जंहा चुनाव नहीं हो रहे है या नेताओं की सभाएं नहीं हो रहीं जंहा रैलियां नहीं है वंहा पूरी ताकत से हमला कर दो, चाहे शादी हो या अन्तिंम संस्कार, जो दिखे उसे जकड लोl कोरोना के चक्कर में अब हाल ये हो गए हैं कि एक बार फिर से कोरोना से बचने के उपायों की झड़ी लग गयी है कोई “गिलोय की बेल” उखाड़े ले रहा है तो कोई “नीम की जड़ें” खोदे ड़ाल रहा है कोई “धनिया” की पत्तियां सुखा कर फांक रहा है तो कोई बबूल के कांटे अपने शरीर में चुभोये पड़ा है, स्थिति ये हो गयी है कि जिस तरह से चुनाव वाले इलाके के अलावा तमाम जगहों पर सरकार प्रतिबन्ध लगा रही है उसको देखते हुए ये लगता है कि अब शादी समारोह में सिर्फ “वर वधु” को ही आने की परमीशन मिल पाएगी, यानि खुद ही श्लोक पढ़ लो, खुद ही फेरे करवा लो और खुद ही वरमाला डाल लो, इधर अंतिम संस्कार में भी जिस तरह से सरकार लोगों की संख्या काम करने पर आमादा हैं वो दिन दूर नहीं जब “मुर्दे” को खुद ही पैदल चलकर “मरघटाई” पंहुच कर चिता पर लेटना पडेगा l

“क्या से क्या हो गया महाराज”

मशहूर फिल्म “गाइड” का एक बड़ा ही प्रसिद्ध गीत है “क्या से क्या हो गया तेरे प्यार में, चाहा था क्या मिला तेरे प्यार में” ये गीत अपने कांग्रेस के “महाराज” और बीजेपी के “भाई साहेब” बनकर रह गए “ज्योतिरादत्य सिंधिया” पर सौ फीसदी खरा उतर रहा हैl महाराज ने बीजेपी में शामिल होकर कमलनाथ को कुर्सी से लुढका कर मामाजी को एक बार फिर से सत्ता के सिंहासन पर बैठा दिया था l शुरू शुरू में तो महाराज का जबरदस्त जलवा रहा बीजेपी में, लेकिन धीरे धीरे वो जलवा कम होता चला गया, सोचा था केंद्र में मंत्री बनेंगे लेकिन आज तक उसका इंतजार ही है सोचा था बीजेपी के फ्रंट लाइन नेताओं में गिनती होगी लेकिन जब स्टार प्रचारकों की सूची आई तो पता लगा उनका नंबर दसवे स्थान पर हैl कांग्रेस में जंहा उन्हें ‘महाराज’ के नाम से सम्बोधत किया जाता था बीजपी में वे “महाराज” की बजाय “भाईसाहब” और “सिंधिया जी” होकर रह गए l अब देखो न दमोह का उपचुनाव हो रहा है उन्हें गुना से हराने वाले बीजेपी नेता ‘के पी यादव’ को प्रचार करने के लिए दमोह बुलाया जा रहा है पर महाराज को कोई निमंत्रण नहीं है जब कांग्रेस में थे तो पूरे प्रदेश में घूम घूम कर कांग्रेस के पक्ष में प्रचार किया था प्रचार कमेटी के अध्यक्ष भी थे लेकिन बीजेपी में ये हालत हो गयीl अपने को तो लगता है कि महाराज इसी गाने का अंतरा मन ही मन जरूर गुनगुनाते होंगे l

“चलो सुहाना भरम तो टूटा जाना कि “बीजेपी” क्या है,

कहती है जिसको “दलबदल” दुनिया, वो चीज क्या बला है

होना हैं और क्या, बीजेपी तेरे प्यार में” l

सुपर हिट ऑफ़ द वीक

“मेरी प्रेमिका ने मुझसे शादी करने का वायदा कर दिया है” श्रीमान जी ने बेहद उदासी भरे स्वर में अपने दोस्त से कहा

“तो इसमें इतना उदास क्यों हो ये तो ख़ुशी की बात है” दोस्त में उन्हें समझाते हुए कहा

“वो तो ठीक हैं पर मैं फिर प्रेम किससे करूंगा” श्रीमान जी ने कहा

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