1 अप्रैल से नहीं हो पाएगा बिलों का ऑटोमेटिक पेमेंट

 

 

आरबीआई ने जारी किए नया दिशानिर्देश.Credit card auto payment : एक अप्रैल से अब रिचार्ज और जनसुविधाओं के बिलों का भुगतान (ऑटोमेटिक रेकरिंग पेमेंट) ऑटोमेटिक नहीं हो पाएगा. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 31 मार्च के बाद सत्यापन के लिए अतिरिक्त उपाय (एएफए) को जरूरी कर दिया है. हालांकि, बैंक और भुगतान सुविधा प्रदान करने वाले मंच ऑटोमेटिक बिलों के भुगतान को लेकर आरबीआई के निर्देश के अनुपालन के लिए अतिरिक्त समय मांग रहे हैं.

आरबीआई ने चार दिसंबर को क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी), एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) तथा भुगतान सुविधा देने वाले मंचों समेत सभी बैंकों को निर्देश दिया है कि कार्ड या प्रीपेड भुगतान उत्पाद (पीपीआई) या यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) का उपयोग कर ऑटोमेटिक बिल भुगतान (घरेलू या विदेशी) की व्यवस्था में अगर एएफए का अनुपालन नहीं हो रहा है, तो वह व्यवस्था 31 मार्च, 2021 से समाप्त हो जाएगी.

बिजली समेत कई सेवाएं हो सकती हैं बाधित

केंद्रीय बैंक ने जोखिम कम करने के उपायों के तहत इस कदम की घोषणा की, जिसका मकसद कार्ड के जरिये लेन-देन को मजबूत और सुरक्षित बनाना है. अगर इस अतिरिक्त सत्यापन उपाय का अनुपालन नहीं किया गया, तो संबंधित इकाइयों को बिजली समेत अन्य ग्राहक केंद्रित सेवाओं, ओटीटी (ओवर द टॉप) समेत अन्य बिलों के भुगतान में 31 मार्च के बाद असर पड़ सकता है.

आरबीआई ने 1 जनवरी से बढ़ाई पेमेंट लिमिट

हाल ही में, आरबीआई ने संपर्क रहित कार्ड के जरिये भुगतान और कार्ड तथा यूपीआई के जरिये ऑटोमेटिक बिलों के भुगतान की सीमा एक जनवरी से 2,000 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये कर दी. इस पहल का मकसद डिजिटल लेन-देन को सुगम और सुरक्षित बनाना है. इस नये नियम के तहत बैंकों को नियमित तौर पर बिलों के भुगतान के बारे में ग्राहक को सूचना देनी होगी और ग्राहक से मंजूरी के बाद ही उसका भुगतान किया जा सकेगा. इसलिए इससे बिलों का भुगतान ऑटोमेटिक नहीं होगा, बल्कि ग्राहक से सत्यापन यानी मंजूरी के बाद ही हो सकेगा. नये दिशानिर्देश के तहत 5,000 रुपये से अधिक के भुगतान के लिए बैंकों को नये दिशानिर्देश के तहत ग्राहकों को ‘वन-टाइम पासवर्ड’ भेजना होगा.

रेग्यूलर ट्रांजेक्शन हो सकता है प्रभावित

ई-कॉमर्स कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इंडस्ट्री अभी आरबीआई के निर्देश के क्रियान्वयन के लिए तैयार नहीं है. उसने कहा कि अगर आरबीआई ने नियम के अनुपालन को लेकर समय नहीं दिया, तो 1 अप्रैल से ग्राहक ने लेन-देन को लेकर जो ई- मंजूरी दे रखी है, बैंक उसका अनुपालन नहीं कर पाएंगे. इससे नियमित तौर पर बिलों के भुगतान और अन्य लेन-देन बाधित होंगे. इससे डिजिटल भुगतान को लेकर ग्राहकों का भरोसा टूटेगा.

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