MP हाईकोर्ट ने मुनव्वर फारुकी के दो अन्य साथियों को दी अंतरिम जमानत

 

 

 

इंदौर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय इंदौर की एक खंडपीठ ने शुक्रवार को इंदौर में एक शो के दौरान धार्मिक भावनाओं को आहत करने और कोविड-19 प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के आरोप में एक जनवरी को स्टैंड-अप कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी के साथ गिरफ्तार किए गए कॉमेडियन प्रखर व्यास और एडविन एंथोनी को अंतरिम जमानत दे दी है। उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति रोहित आर्य ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद निचली अदालत को आदेश दिया कि वह प्रखर व्यास और एडविन एंथोनी को अंतरिम जमानत पर रिहा करें। गौरतलब है कि मामले के मुख्य आरोपी मुनव्वर फारुकी को उच्चतम न्यायालय ने पांच फरवरी को अंतरिम जमानत दे दी थी।

व्यास और एंथोनी के वकीलों ने शीर्ष अदालत के इस आदेश का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय से गुहार की थी कि समानता के न्यायिक सिद्धांत के आधार पर उनके मुवक्किलों को भी जमानत का लाभ दिया जाना चाहिए। व्यास और एंथोनी पिछले 42 दिनों से जेल में थे। बचाव पक्ष ने यह भी कहा कि आनन-फानन में आरोपियों की गिरफ्तारी के वक्त दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41 का उल्लंघन किया गया था। उधर, अभियोजन ने दावा किया कि मामले में उक्त प्रावधान के तहत वैधानिक प्रक्रिया का पालन किया गया था और निचली अदालत के एक आदेश में भी इस बात का उल्लेख किया गया है।

उच्चतम न्यायालय से अंतरिम जमानत मिलने के बाद फारुकी को केंद्रीय जेल से छह फरवरी की देर रात रिहा किया गया था। गौरतलब है कि शहर के एक कैफे में एक जनवरी की शाम आयोजित विवादास्पद कॉमेडी शो को लेकर फारुकी, व्यास, एंथोनी और दो अन्य लोगों को इसी तारीख की रात गिरफ्तार किया गया था। इनमें से एक आरोपी नाबालिग निकला था। उसे मामले में बाल न्यायालय से पहले ही जमानत मिल चुकी है। राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा की स्थानीय विधायक मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़ के बेटे एकलव्य सिंह गौड़ ने विवादास्पद कार्यक्रम में हिंदू देवी-देवताओं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और गोधरा कांड को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियों का आरोप लगाते हुए एक जनवरी की रात प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

मामले के छह आरोपियों में शामिल सदाकत खान को दो जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। सत्र न्यायालय ने नियमित जमानत के लिए खान की दूसरी अर्जी नौ फरवरी को खारिज कर दी थी। मामले के एक अन्य आरोपी नलिन यादव की जमानत अर्जी मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने 28 जनवरी को खारिज कर दी थी।

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