सोनभद्र में मिला 174 करोड़ वर्ष पुराना जीवाश्म, तब पृथ्वी पर नहीं था जीवन

 

 

भूवैज्ञानिक मुकुंद शर्मा ने बताया कि सोनभद्र जिले के डाला में सलखन से भी पुराने जीवाश्म पाए गए हैं. सलखन के फॉसिल्स लगभग 160 करोड़ वर्ष पुराने हैं. वहीं, डाला बाडी में मिले जीवाश्म 174 करोड़ वर्ष पुराने हैं.

सोनभद्र: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के डाला में तीन सदस्यीय वैज्ञानिको की ‘जी’ टीम डाला के बाडी स्थित पहले से हुए खनन क्षेत्र में शोध करने पहुंची. वैज्ञानिकों की टीम डाला में जीवाश्म होने की संभावनाओं की तलाश करने पहुंची थी. अब यहां लगभग 174 करोड़ वर्ष पुराना जीवाश्म होने की बात सामने आई है. इसके पहले विश्व का सबसे पुराना और सबसे बड़ा जीवाश्म सलखन में मिल चुका है. इसके बाद दूसरे नंबर पर अमेरिका का जीवाश्म माना जाता है.

 

174 करोड़ वर्ष पुराने हैं जीवाश्म
भूवैज्ञानिक मुकुंद शर्मा ने बताया कि डाला की बाडी स्थित पहाड़ियों में सलखन से भी पुराने जीवाश्म पाए गए हैं. सलखन के फॉसिल्स लगभग 160 करोड़ वर्ष पुराने हैं. वहीं, डाला बाडी में मिले जीवाश्म 2 मीटर की लेयर में लगभग 174 करोड़ वर्ष पुराने हैं. इसके अलावा जिले में शोध के लिए गई टीम ने ग्राम पंचायत कोटा के कोटा खास, ओबरा, चोपन, सलखन से लगभग 45 पैकेट जांच के लिए लखनऊ भेजने के लिए तैयार हो गई है.

 

बनाई जाएगी समिति
भूवैज्ञानिक मुकुंद शर्मा ने बताया कि यहां तीन प्रकार के लेयर पाए जा रहे हैं. जिसकी संरचनात्मक जांच की जा रही है. ये जीवाश्म उस समय के हैं जब पृथ्वी पर जीवन नहीं हुआ करता था, केवल वन ही वन पाए जाते थे. यहां आने के उद्देश्य के बारे में बातते हुए उन्होंने कहा कि इस पर एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार होगी जिसे प्रदेश सरकार को दिया जाएगा. यहां किन स्थानों पर इस तरह के जीवाश्म हैं, इसका अध्ययन करने के लिए जिले में जल्द ही भूवैज्ञानिकों की एक समिति बनाई जाएगी. समिति में अधिकारी वर्ग, वैज्ञनिक वर्ग और पत्रकार भी रहेंगे. समिति के लोग जगह-जगह जाकर जांच करेंगे.

 

 

अन्य स्थलों पर भी जीवाश्म होने का अनुमान
भूवैज्ञानिक मुकुंद शर्मा के नेतृत्व में आई शोध टीम जिले में 25 जनवरी से 3 फरवरी तक शोध करेगी. जिले में लगभग एक सप्ताह के दौरे पर आए भूवैज्ञानिक मुकुंद शर्मा ने बताया कि साल 2000 से वो सोनभद्र आते रहे हैं. शोध से पर्यावरण को नुकसान नहीं होना चाहिए और प्राकृतिक संसाधनों का देश हित में उपयोग किया जा सकता है. कुछ अन्य स्थलों पर भी जीवाश्म होने का अनुमान है. इन सभी का अध्ययन करने के लिए भूवैज्ञानिकों की शोध टीम काम कर रही है. वहीं, लंबे समय से फॉसिल्स पर काम कर रहे वैज्ञानिकों की टीम ने क्षेत्र में हर प्वाइंट पर जाकर शोध किया है.

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