दिल्ली की सीमा से सटे तीन बॉर्डर ग़ाज़ीपुर, सिंघु और टिकरी पर सोमवार की सुबह से पुलिस प्रशासन से भारी सुरक्षा व्यवस्था की है और रास्ता बंद कर रखा है.
इसके चलते इन तीनों रूटों पर ट्रैफिक जाम की स्थिति देखने को मिली. इसके अलावा इन तीनों जगहों पर दिल्ली की सीमा की ओर काफ़ी बैरिकेडिंग भी की गई है.
ये तीनों वो जगहें हैं जहां केंद्र सरकार के लाए गए कृषि क़ानून के विरोध में किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
तीनों बॉर्डर पर बैरिकेडिंग की क्या स्थिति है और इसको लेकर किसान क्या कुछ कह रहे हैं, पढ़िए –
गाज़ीपुर बॉर्डर से समीरात्मज मिश्र
बीबीसी हिंदी के लिए
ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसानों के धरना स्थल पर रविवार शाम से ही सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है.
यूपी की ओर से दिल्ली जाने वाले सभी रास्तों को कई स्तरों के बाड़े लगाकर बंद कर दिया गया है. यहाँ तक कि पैदल जाने के रास्ते भी बंद कर दिए गए हैं.
पिछले दो महीने से दिल्ली के बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को कवर रहे वरिष्ठ पत्रकार प्रभाकर मिश्र बताते हैं, “मैं आज सुबह दो घंटे रास्ते तलाशता रहा, इलाक़े के डीसीपी से भी मदद माँगी, उन्होंने मदद करने की कोशिश भी की लेकिन मैं देर तक जाम में फँसा रहा और आगे जाने के लिए भटक रहे तमाम लोगों के साथ रास्ते तलाशता रहा.”
दिल्ली से यूपी आने वाले सिर्फ़ एक रास्ते को खुला रखा गया है जो कि आनंद विहार से होते हुए ग़ाज़ियाबाद को आता है. लेकिन यहाँ भी केवल सड़क की एक ओर का रास्ता खुला है और उस पर कई किलोमीटर लंबा जाम लगा है.
इस तरह की घेराबंदी क्यों की गई है, दिल्ली पुलिस के अधिकारी इसका कोई जवाब नहीं दे रहे हैं. वहाँ मौजूद पुलिसकर्मी सिर्फ़ यह जवाब दे रहे हैं कि ऊपर से आदेश है.
गाज़ीपुर में मौजूद कुछ युवाओं का कहना था कि हम लोगों को कहा गया है कि इसके आगे कोई जा नहीं सकता और हम लोगों को इसकी निगरानी के लिए तैनात किया गया है.
ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर किसानों के दोबारा जुटने के बाद से वहाँ भीड़ बढ़ती जा रही है. वहाँ मौजूद किसानों का कहना है कि आगे भी टेंट न बढ़ने पाएँ, इसलिए पुलिस ने इतनी कड़ी सुरक्षा कर रखी हैं.
इस इलाक़े के ज़्यादातर लोग दिल्ली में काम करते हैं और वसुंधरा, वैशाली, इंदिरापुरम, कौशांबी में रहते हैं. सड़कें बंद कर देने के कारण लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
नोएडा सेक्टर 62 से रेलवे की परीक्षा देकर लौट रहे मनीष यादव ने बीबीसी को बताया, “मैं तो यहीं का रहने वाला हूँ तो मुझे पैदल वाले रास्ते मालूम हैं लेकिन कोई लोग बहुत देर से भटक रहे हैं.”
टिकरी बॉर्डर से
टीकरी बॉर्डर पर पुलिस ने कंक्रीट के स्लैब लगाए है. साथ ही सड़क पर नुकीले सरिया भी गाड़े हैं ताकि वाहन पार न कर सके. इसके अलावा इंटरनेट बैन को भी सरकार ने दो फरवरी तक के लिए बढ़ा दिया है.
बॉर्डर पर मौजूद किसान इसे साजिश के तौर पर देख रहे हैं.
किसान सोशल आर्मी से जुड़े अनूप चनौत कहते हैं, “जो सरकार ये कह रही है कि हम बस एक फ़ोन कॉल दूर है वो इस तरह के बैरीकेड लगा रही है जैसे सीमा पर लगाए जाते हैं.”
चनौत कहते हैं, “हम शांति से अपने मोर्चे पर बैठे हैं और हम यही बैठे रहेंगे. लेकिन अगर हम संसद को घेरने के लिए आगे बढ़ना चाहेंगे तो ये बैरीकेड हमें रोक नहीं पाएंगे. सरकार साज़िश रच रही है.”
वो कहते हैं, “इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है, हम जरूरी सूचनाएं भी लोगों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं. अब ट्विटर से किसान आंदोलन के अकाउंट बंद करवा दिए गए हैं. लोकतंत्र में हमारी आवाज़ को दबाया जा रहा है. ये एक तरह से लोकतंत्र की हत्या ही है. इन तमाम दबावों के बावजूद हम टिके रहेंगे और हमारा प्रोटेस्ट जारी रहेगा. ”
वहीं दिल्ली पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर (नॉर्दन रेंज) एसएस यादव ने बीबीसी से बात करते हुए सिंघु बॉर्डर पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाने की पुष्टि की.
हालांकि उन्होंने तैनात सुरक्षाकर्मियों की संख्या को संवेदनशील जानकारी बताते हुए जाहिर करने से इनकार कर दिया गया. उन्होंने कहा कि सुरक्षा के लिए जो भी ज़रूरी इंतजाम हो सकता है वो किया जा रहा है.
सिंघु बॉर्डर पर किसानों के जोश पर असर नहीं
सिंघु बॉर्डर पर भी पुलिस प्रशासन की ओर से बैरिकेडिंग की गई है. दिल्ली की ओर से सिंघु बॉर्डर की ओर जाने पर सिंघु बॉर्डर से दो किलोमीटर पर पहले ही बैरिकैडिंग की गई है. बॉर्डर के पास सड़क पूरी तरह खोद दी गई है.
चुनिंदा गाड़ियों को बैरिकेडिंग से आगे जाने की इजाजत दी जा रही है, लेकिन मीडिया की गाड़ियों को जाने नहीं दिया जा रहा.
संयुक्त किसान मोर्च के मंच से पहले एक किसान संघर्ष समिति का स्टेज है. इसी स्टेज पर दो दिन पहले पत्थरबाज़ी की गई थी. इस स्टेज के आगे पूरी तरह से सीमेंट और सरिया डाल कर बैरिकेडिंग की जा रही है.
सिंघु बॉर्डर जाने के लिए हर रास्तों को बंद कर दिया गया है. नरेला की तरफ़ से धरने में शामिल होने के लिए आ रहे 46 किसानों को हिरासत में रखकर पूछताछ की गई है.
सिंघु बॉर्डर पर मौजूद एक किसान नेता सुरजीत सिंह ढेर ने बताया कि “मोदी सरकार दिल्ली और हरियाणा की सीमा पर ऐसी दीवार खड़ी कर रही है, जैसी दीवार बनाने की घोषणा ट्रंप ने अमेरिका और मैक्सिको सीमा पर की थी.”
जम्हूरी किसान सभा के अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू ने बताया, “सरकार ने इंटरनेट बंद करके और बैरिकेडिंग करके किसान आंदोलन की ख़बरों को बाहर आने से रोक दिया है.”
“इसके अलावा मोदी सरकार अपने प्रचार साधनों से यह जताने की कोशिश कर रही है कि धरना कमजोर पड़ गया है लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है. हरियाणा और पंजाब से किसानों का आना लगातार जारी है.”
संयुक्त किसान मोर्चे के नेता सतनाम सिंह अजनारा ने बताया, “सरकार तमाम अमानवीय क़दम उठा रही है. इसमें बिजली काटना, पानी बंद करना और इंटरनेट बंद करना शामिल है. अब सरकार बैरिकेडिंग कर रही है. ये सब सरकार को तुरंत बंद करना चाहिए. अगर सरकार बातचीत करना चाहती है तो उसे पहले बातचीत का माहौल तैयार करना होगा.”
सतनाम सिंह पन्नू ने बीबीसी को बताया, “इस तरह की बैरिकेडिंग टिकरी, सिंघु और गाज़ीपुर हर बॉर्डर पर हो रही है. सरकार का ये तरीका किसानों को मनोबल को गिराने की कोशिश है लेकिन किसान पूरे जोश में हैं और तीनों क़ानून रद्द करवा कर और एमएसपी का क़ानून बनवाकर ही वापस जाएंगे.”
सिंघु बॉर्डर के एक स्थानीय युवा सागर ने बताया कि दो महीने से किसानों के प्रदर्शन से स्थानीय लोगों को कोई तकलीफ़ नहीं हो रही थी लेकिन 26 जनवरी के बाद सरकार की बैरिकेडिंग और सख़्ती से लोगों की तकलीफ़ बढ़ गई है.
सिंघु बॉर्डर पर सोनीपत से सौ महिलाओं का एक जत्था ट्रैक्टर ट्रॉली में भरकर पहुंचा है.
इन महिलाओं ने बीबीसी से कहा है कि मोदी सरकार हम किसानों के हौसले को डिगा नहीं सकती है, हम हर हाल में किसान विरोधी क़ानूनों को वापसी करा कर जाएंगे.