नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मली सीतारमण ने सस्ते मकानों के लिए करों में अंतराल को आगे बढ़ा दिया है लेकिन उन्होंने निजी आय कर स्लैब्स में कोई बदलाव नहीं किया है और करदाताओं को टैक्स में कोई नई छूट भी नहीं दी है.
बजट में कई वस्तुओं पर कृषि अवसंरचना और विकास उपकर लगाया है जिनमें सोने और चांदी के डोर बार्स, मादक पेय, ताड़ का तेल, सेब और पेट्रोल तथा डीज़ल शामिल हैं.
लेकिन, बजट के दस्तावेज़ में ज़ोर देकर कहा गया है कि उपभोक्ता के लिए इन वस्तुओं के अंतिम दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी चूंकि सरकार ने इनके सीमा और उत्पाद शुल्क में, उसी हिसाब से कटौती कर दी है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण के परिशिष्ट में कहा गया, ‘कुल मिलाकर, इनमें से अधिकांश वस्तुओं के मामले में, उपभोक्ता पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा’.
बजट दस्तावेज़ में कहा गया, ‘पेट्रोल पर 2.5 रुपए प्रति लीटर और डीज़ल पर 4 रुपए प्रति लीटर, कृषि अवसंरचना एवं विकास उपकर (एआईडीसी) लगाया गया है. साथ ही इन वस्तुओं पर उत्पाद शुल्क को घटा दिया गया है. परिशिष्ट में कहा गया कि ‘कुल मिलाकर उपभोक्ता पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा’.
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इसी तरह, कुछ मादक पेय पदार्थों पर 100 प्रतिशत एआईडीसी लगाई गई है लेकिन उसके अनुरूप उत्पाद शुल्क में की गई कटौती, 150 प्रतिशत से 50 प्रतिशत के बीच में है.
सीतारमण ने बजट के बाद हुई प्रेस कांफ्रेंस में भी इसे बात को दोहराया. उन्होंने कहा, ‘कृषि अवसंरचना और विकास उपकर की वजह से अंतिम उपभोक्ता को किसी भी श्रेणी के लिए ज़्यादा दाम नहीं देने पड़ेंगे’.
टैक्स
बजट में सस्ते घर खरीदने के लिए कर के अंतराल को आगे बढ़ा दिया गया है.
परिशिष्ट में कहा गया, ‘प्रस्ताव दिया जाता है कि सस्ते मकानों की खरीद के लिए होम लोन के ब्याज भुगतान पर, 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त कर कटौती को एक साल और बढ़ाकर 31 मार्च, 2022 तक कर दिया जाए’.
इसी तरह, सस्ते घरों का निर्माण कर रहे रियल एस्टेट डेवलपर्स के लिए कर अवकाश की पात्रता अवधि को भी, एक साल के लिए 31 मार्च 2022 तक बढ़ा दिया गया है.
सरकार 2.5 लाख रुपए तक के वार्षिक प्रीमियम वाली, यूलिप योजनाओं की परिपक्वता आय को भी कर में छूट देगी.
75 वर्ष या उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को भी, कुछ राहत पहुंचाई गई है. अगर उनकी आय का स्रोत केवल पेंशन है, तो उन्हें आयकर रिटर्न्स भरने से छूट दे दी गई है.
करदाताओं के अनुकूल कदम उठाते हुए, सरकार ने आयकर विभाग द्वारा आंकलन मामलों को फिर से खोले जाने की समय सीमा भी, छह साल से घटा कर तीन साल कर दी है.