किसान मोर्चा की इमरजेंसी मीटिंग, कहा- रची गई साजिश, प्रदर्शन से हिल गई सरकार

गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों ने दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के नाम पर जमकर उपद्रव किया. इस हिंसा के बाद आंदोलन कर रहे कुछ किसान संगठनों ने बैठक की. बैठक में निष्कर्ष निकाला कि केंद्र सरकार इस किसान आंदोलन से बुरी तरह हिल गई है. इसलिए, किसान मजदूर संघर्ष समिति अन्य किसान संगठनों के शांतिपूर्ण प्रोटेस्ट के खिलाफ एक गंदी साजिश रची गई.

संयुक्त किसान मोर्चा की इमरजेंसी बैठक के बाद एक बयान जारी किया गया. जिसके अनुसार, इस किसान आंदोलन की शुरुआत के 15 दिनों के बाद अपना अलग विरोध स्थल बनाया था, वह संयुक्त रूप से प्रदर्शन करने वाले संगठनों का हिस्सा नहीं थे. जब किसान संगठनों ने 26 जनवरी को किसान परेड का कार्यक्रम घोषित किया, तो दीप सिद्धू जैसे दूसरे असामाजिक तत्वों ने दूसरे किसान संगठन के साथ मिलकर किसानों के आंदोलन को विफल करने की कोशिश की.

किसान संगठनों के अनुसार, दूसरे किसान संगठन ने किसान मजदूर संघर्ष समिति के निर्धारित मार्च से दो घंटे पहले ही मार्च करना शुरू कर दिया. जो कि शांतिपूर्ण मजबूत किसान संघर्ष को नाकाम करने की एक गहरी सजिश थी. ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा के सभी घटक दल इस घटना की कड़ी निंदा करते हैं.

मोर्चा के अनुसार, 27 जनवरी को 32 संगठनों की इमरजेंसी बैठक बुलाई गई. जिसमें बलबीर सिंह राजेवाल जगजीत सिंह डालेवाल दर्शन पाल के साथ तमाम किसान नेता मौजूद रहे. बता दें कि किसान नेता भानु प्रताप सिंह ने अपना आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया है. यह किसान नेता तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे थे. भानु प्रताप सिंह ने कहा कि कल दिल्ली में जो कुछ भी हुआ उससे मैं बेहद आहत हूं.

भानु गुट चिल्ला बॉर्डर पर धरना दे रहा था. भानु प्रताप सिंह ने कहा कि कल दिल्ली में जो कुछ भी हुआ उससे मैं बेहद आहत हूं 58 दिनों के विरोध प्रदर्शन को खत्म कर रहा हूं. वहीं राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के राष्ट्रीय संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि जिसने भी आंदोलनकारी किसानों को मंगलवार को उकसाया उस पर कार्रवाई होनी चाहिए.

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