अब सोने-चांदी की ज्वैलरी खरीदनी है तो KYC है जरूरी, देना होगा PAN और आधार*
सोने की ईंट खरीदो या फिर कुछ ग्राम सोना. चांदी की पाज़ेब खरीदो या फिर 1 किलो चांदी KYC जरूरी है. ध्यान दीजिए, KYC ज्वैलरी खरीदारी के लिए जरूरी कर दिया है. अब सोने-चांदी की ज्वेलरी खरीदने पर आपको PAN कार्ड या Aadhaar कार्ड दिखाना होगा. ज्वैलरी खरीदने जाएं तो साथ में सरकार की तरफ से जारी पहचान पत्र जरूर ले जाएं. क्योंकि, ज्वेलर्स अब इसकी मांग करेंगे. ज्वैलर्स का दावा है सरकार की तरफ से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, ऐसा करना अब अनिवार्य है. मौजूदा नियम के मुताबिक 2 लाख रुपए से ज्यादा की खरीदारी पर KYC अनिवार्य है. लेकिन, अब कम पर भी KYC देना ही होगा.
सरकार 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में कैश में ज्वैलरी खरीदने पर KYC को अनिवार्य बना सकती है. ज्वेलर्स को डर है कि सरकारी एजेंसियां Prevention of Money Laundering Act (PMLA) लागू होने के बाद किसी भी तरह के संदिग्ध लेन-देन के लिए उन पर सख्ती बढ़ा सकती है. वित्त मंत्रालय ने 28 दिसंबर को गोल्ड ट्रेड को PMLA (Prevention of Money Laundering Act) के दायरे में लाने का नोटिफिकेशन जारी किया था. अब एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) के पास यह अधिकार है कि वह बिना दस्तावेज के गोल्ड ट्रेड की गहनता से जांच कर सके. वित्त मंत्रालय के आदेश के मुताबिक, ट्रांजैक्शन का हिसाब-किताब अब ज्वैलर्स को अपने पास रखना होगा. मामले में पकड़े जाने पर 3-7 साल तक सजा का प्रावधान भी है.
फिलहाल, गोल्ड को छोड़कर सभी एसेट क्लास में लेन देन के लिए KYC डॉक्यूमेंट्स जरूरी है. वहीं, सोने के मामले में 2 लाख रुपए से ज्यादा के लेन-देन पर KYC डॉक्यूमेंट्स जरूरी होता है. इससे कम की खरीदारी पर KYC जरूरी नहीं है. सरकार सोने को भी शेयर, म्यूचुअल फंड्स और रियल एस्टेट जैसी एसेट क्लास की तरह ही बनाना चाहती है.
सरकार सोने को एक एसेट क्लास बनाने के लिए जल्द ही एक विस्तृत गोल्ड पॉलिसी (Comprehensive Gold Policy) लेकर आने वाली है. इसका मतलब ये हुआ कि सोना अब ‘undisclosed treasure’ की कैटेगरी में नहीं आएगा, जिसे आप किसे से छिपा सकें बल्कि एक लग्जरी और निवेश के तौर पर देखा जाएगा. भारत में सालाना 800-850 टन सोने की खपत है.
इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के नेशनल सेक्रेटरी सुरेंद्र मेहता के मुताबिक, PMLA के तहत वो ज्वेलर्स जो सोना, चांदी, प्लेटिनम, हीरा जैसे कीमतीं धातुओं के कारोबार मे हैं, उन्हें फाइनेंशियल इंटेजिलेंस यूनिट को रिपोर्ट करना होगा. ज्वेलर्स को सभी संदिग्ध लेन-देन, कैश खरीदारी की रिपोर्टिंग करनी होती है, अगर ऐसी खरीदारी की वैल्यू एक महीने में 10 लाख रुपये से ज्यादा है तो इसकी जानकारी उन्हें सरकारी एजेंसी को देनी होती है.
पिछले साल 28 दिसंबर को गोल्ड ट्रेड को PMLA के तहत लाया गया था. सुरेंद्र मेहता का कहना है कि अगर अथॉरिटी को किसी भी तरह की चूक समझ आती है तो ज्वेलर्स गिरफ्तार भी हो सकता है. इसलिए कई ज्वेलर्स ने KYC डॉक्यूमेंट्स लेना शुरू कर दिया है. हालांकि ग्राहक KYC देने से मना कर रहे हैं, जिसकी वजह से कंफ्यूजन भी हो रहा है.