मप्र हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि दूसरे राज्य के जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर नियुक्ति नहीं मिल सकती है। एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैंच ने इस टिप्पणी के साथ उच्च माध्यमिक शिक्षक पद की उम्मीदवार की याचिका खारिज कर दी है। रीवा जिले की त्योथर तहसील की निवासी कमला देवी की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि उसने अनुसूचित जाति वर्ग से वर्ष 2018 में उच्च माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा दी थी।
परीक्षा में उसे उत्तीर्ण घोषित किया गया। जुलाई 2020 में दस्तावेजों के सत्यापन के दौरान उसे अयोग्य करार दिया गया। उसे यह कारण बताया गया कि उसका जाति प्रमाण-पत्र उत्तरप्रदेश का है। उच्च माध्यमिक शिक्षा भर्ती के लिए मध्यप्रदेश के सक्षम अधिकारी द्वारा जारी जाति प्रमाण-पत्र चाहिए। दूसरे राज्य के जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर उसे नौकरी नहीं दी जा सकती।
अधिवक्ता विनोद दुबे ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता के पास उत्तरप्रदेश का जाति प्रमाण-पत्र है, जिसे अमान्य नहीं किया जा सकता है। राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्याय दृष्टांत के आधार पर कहा गया कि दूसरे राज्य के जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी नहीं दी जा सकती है। सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने याचिका खारिज कर दी है।