उपचुनाव के मतदान से ठीक 9 दिन पहले कांग्रेस को 26वां झटका लगा है। दमोह सीट से पार्टी विधायक राहुल सिंह लोधी ने पद से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया है। प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने इसे स्वीकार करते हुए सीट रिक्त घोषित कर दी है। रविवार को भाजपा दफ्तर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की मौजूदगी में राहुल ने भाजपा की सदस्यता ली। अब दमोह सीट पर छह माह में उपचुनाव होंगे।
कांग्रेस ने भाजपा में जाने वाले बाकी विधायकों की तरह इसे भी सौदेबाजी बताया है। उसके 26 विधायक भाजपा में जा चुके हैं और सदन में उसके 87 विधायक बचे हैं। भाजपा का कहना है कि कुछ और कांग्रेसी संपर्क में हैं। राहुल अभी सुरखी में कांग्रेस का प्रचार कर रहे थे। सूत्रों का कहना है कि सत्ता के तख्तापलट के बाद कमलनाथ ने प्रद्युम्न सिंह लोधी, राहुल और तरबर लोधी को सुरखी उपचुनाव की जिम्मेदारी सौंपी थी, क्योंकि यहां 15 से 18 हजार वोटर लोधी हैं। प्रद्युम्न जुलाई में भाजपा में चले गए। अब राहुल गए। सिर्फ बंडा से विधायक तरबर बचे हैं।
भाजपा मजबूत हुई : वीडी
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि आज असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत के दिन राहुल लोधी हमारे नेतृत्व, विचारों और नीतियों पर विश्वास जताया है। राहुल के पार्टी में आने से भाजपा और मजबूत हुई है और अब हम लोग एक परिवार की तरह मिलकर दमोह क्षेत्र और पूरे प्रदेश के विकास के लिए काम करेंगे।
बहुमत अब 115 पर: एक सीट रिक्त होने पर सदन में संख्या बल 229 होगा, इस पर बहुमत 115 का रहेगा। इस हिसाब से भाजपा को बहुमत के लिए 8 और कांग्रेस को 28 सीटें जीतना जरूरी है। 5 अन्य विधायकों की भूमिका उप चुनाव बाद स्पष्ट होगी।
भाजपा-कांग्रेस पर : राहुल सुरखी में कांग्रेस का प्रचार कर रहे थे। भाजपा का दावा है कि वहां 18 हजार, बड़ामलेहरा में 20 हजार लोधी वोट उसके खाते में आ सकते हैं। कांग्रेस के वोट कटेंगे।
जून में भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने प्रद्युम्न को पार्टी में लाने के लिए बात की थी। तब राहुल से भी बात हुई थी। पर, मलैया तैयार नहीं थे। सितंबर के पहले हफ्ते में मंत्री भूपेंद्र सिंह सागर में राहुल से मिले। इसके बाद दोनों आठ बार भोपाल में मिले। बात बनते ही राहुल ने शुक्रवार शाम इस्तीफा विधानसभा भेज दिया।