फर्जी फर्म बनाकर जीएसटी रिटर्न हासिल करने वालों पर सख्त कार्रवाई सरकार की तरफ से की गई है. 115 फर्जी फर्म संचालकों, चार्टर्ड एकाउंटेंट की पढ़ाई कर रहे एक शख्स, एक सीए फर्म के पार्टनर को गुजरात से गिरफ्तार किया गया है.
इन लोगों ने फर्जी फर्म बनाकर करीब 50.24 करोड़ रुपये का जीएसटी रिटर्न और इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल किया. कठोर डेटा माइनिंग और डेटा एनालिटिक्स ने इस फर्जीवाड़े को पकड़ने में काफी मदद की है.
सीए स्टूडेंट है सूत्रधार!
सीए के थर्ड ईयर स्टूडेंट प्रिंस मनीष कुमार खत्री पर आरोप है कि वह 115 ऐसे फर्जी फर्म के रजिस्ट्रेशन में शामिल रहा है और उसने गलत तरीके से जीएसटी भुगतान हासिल करने के लिए इन अपात्र फर्मों को इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल करने में मदद की.
फर्जी बिल का इस्तेमाल
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, ऐसे 55 संदिग्ध फर्मों का रजिस्ट्रेशन वड़ोदरा और अहमदाबाद कमिश्नरी जीएसटी के क्षेत्र में किया गया है. बाकी भिवंडी, गांधीनगर, जोधपुर, भावनगर और ठाणे कमिश्नरी के तहत आते हैं.
जांच से पता चला है कि ये फर्म सामान या सेवाओं की आपूर्ति के बिना फर्जी इनवाइस जारी करती थीं और इन फर्जी बिल के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) हासिल कर लेती थीं.
फर्जीवाड़े की जगह की हो गई है पहचान
सूत्रों के अनुसार, इन फर्जी लेन-देन का आईपी एड्रेस हासिल कर लिया गया है. जीएसटी रिटर्न के लिए इन आईपी एड्रेस का इस्तेमाल किया गया था. इसी तरह वे मोबाइल नंबर भी मिल गए हैं, जिनसे जीएसटी संबंधी कार्य के लिए ओटीपी हासिल होता था. इसी तरह जिन जगहों से फर्जी फर्मों का रजिस्ट्रेशन हुआ है, जहां से जीएसटी रिटर्न फाइल की गई है उनकी पहचान भी कर ली गई है.
वित्त मंत्रालय के एक सूत्र ने इंडिया टुडे-आजतक को बताया, ‘इन फर्जी फर्मों और फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट दावों को पकड़ने में कठोर डेटा माइनिंग और डेटा एनालिटिक्स ने काफी मदद की है. अब जीएसटी रजिस्ट्रेशन में आधार के इस्तेमाल से ऐसे फर्जीवाड़े पर नियंत्रण आसान हो गया है.’