कोरोना वायरस से बचने के लिए ज्यादातर लोग इम्यूनिटी बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं. बाजारों में भी इस समय हर्बल सप्लीमेंट्स की बाढ़ आ गई है. इम्यूनिटी बूस्टर के नाम दुकानों पर धड़ल्ले से तरह-तरह के जूस और दवाईयां बेची जा रही हैं. लोग बिना डॉक्टर से संपर्क किए खुद ही विटामिन्स की गोलियां खरीद कर खा रहे हैं. कुछ लोग अपने मन से किचन में रखे मसालों का इस्तेमाल कर रहे हैं और बिना सही मात्रा जाने हर्बल काढ़ा बना कर पी रहे हैं. इन सबसे शरीर में कई दूसरे तरह के नुकसान हो रहे हैं.
जानें कितनी मात्रा सही
तमिलनाडु के विल्लुपुरम सरकारी अस्पताल के डॉक्टर पी मोहनवेल ने ‘द हिंदू’ को बताया, ‘हमारे पास कम से कम 15 फीसदी मरीज ऐसे आते हैं जिन्हें हर्बल चीजों का ओवरडोज होता है. इनमें से ज्यादातर को पेट संबंधी समस्या होती है और कभी-कभी गंभीर मामलों में इनकी एंडोस्कोपी की जाती है.’ डॉक्टर्स का कहना है कि इम्यूनिटी बढ़ाने की कोई जादुई दवा नहीं है. अगर आप इम्यूनिटी के लिए घरेलू तरीके अपना रहे हैं तो मसालों की उचित मात्रा जानना जरूरी है. आइए जानते हैं इसके बारे में.
हल्दी– हल्दी में पाया जाने वाले करक्यूमिन में एंटीवायरल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं. पाउडर की तुलना में कच्ची खड़ी हल्दी ज्यादा फायदेमंद होती है और तीन हफ्तों की अंदर इसका सेवन कर लेना चाहिए. इसे कालीमिर्च के साथ लेने पर ज्यादा लाभ होता है. अगर आप इसे मिश्रण में ले रहे हैं तो दिन भर में तीन ग्राम यानी आधा चम्मच हल्दी से ज्यादा का सेवन ना करें. अगर आपको पेट में सूजन या दर्द महसूस हो रहा है तो इसे लेना बंद कर दें.
अदरक– ताजा अदरक पेट के बैक्टीरिया को स्थिर करके पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है. सूखी अदरक फेफड़ों को साफ करने का काम करती है. ज्यादा प्रभाव के लिए अदरक नींबू का जूस पिएं. अगर आपको गैस जैसी कोई दिक्कत महसूस हो रही है तो इसे लेना बंद कर दें. रोज़ाना 10 एमएल (दो चम्मच) से अधिक अदरक का रस ना लें.
काली मिर्च– काली मिर्च में मौजूद पिपेराइन फेफड़ों को साफ करने में मदद करता है और टी-कोशिकाओं में सुधार करता है जिससे संक्रमण से लड़ने में मदद मिलती है. काली मिर्च इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाता है. यह करक्यूमिन और बीटा कैरोटीन के अवशोषण में सुधार करता है, इसलिए इसे विटामिन ए वाले फूड्स के साथ भी लिया जा सकता है. गैस की दिक्कत या सीने में जलन होने पर इस ना लें. एक दिन में चार ग्राम से कम काली मिर्च का सेवन करें.
लहसुन– लहसुन में एलिसिन, डिस्लफेट और थायोसल्फेट पाया जाता है जो फेफड़ों को सूक्ष्म जीवों से बचाता है और पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है. इसे मछली के साथ खाना ज्यादा फायदेमंद होता है क्योंकि मछली में ओमेगा-3-फैटी एसिड होती है जो एलिसिन तत्व को और बढ़ाने का काम करती है. शाकाहारी लोग मछली की जगह फ्लैक्स सीड्स का सेवन कर सकते हैं. अगर आपके मुंह से दुर्गंध आ रही है या आप कमजोरी महसूस कर रहे हैं तो इसे खाना बंद कर दें. एक दिन में सात ग्राम (एक चम्मच से अधिक) लहसुन ना खाएं. अगर पाउडर की तरह ले रहे हैं तो इसकी मात्रा एक चुटकी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
जीरा और धनिया के बीज- जीरा और धनिया के बीज साथ में लेना ज्यादा फायदेमंद है. जीरा में क्यूमिनलडिहाइड और फाइटोकेमिकल्स होते हैं जो पेट को अच्छे से साफ करते हैं. इसमें सेलेनियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे मिनरल्स पाए जाते हैं जो इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं. अगर आपको लो ब्लड प्रेशर की समस्या है तो इसका सेवन ना करें. रोजाना 600 मिलीग्राम जीरा और एक ग्राम धनिया से अधिक का सेवन ना करें.
मेथी– मेथी एंटी इंफ्लेमेटरी होती है और ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल को कम करती है. इसके सक्रिय तत्व एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करते हैं. मेथी में एंटीवायरल गुण भी होते हैं. अंकुरित मेथी में बहुत सारे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं और खाली पेट खाने पर इसका दोगुना फायदा मिलता है. अगर आपको आंत में कोई दिक्कत महसूस होती है तो इसका सेवन बंद कर दें. एक दिन में पांच ग्राम (एक चम्मच) से कम मेथी का सेवन करें वरना लिवर की दिक्कत हो सकती है.