इंदौर :कलश यात्राएं निकल रही हैं, प्रशासन और पुलिस अमला क्या कर रहा है:

कोरोना की वजह से सार्वजनिक आयोजनों पर पूरी तरह से रोक है। इसके बाद भी इसके राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कलश यात्राएं निकाली जा रही हैं। आयोजनों में हजारों लोग जमा हो रहे हैं। संक्रमण फैलेगा तो कौन जिम्मेदार होगा? आखिर पुलिस और प्रशासनिक अमला क्या कर रहा है? ऐसे आयोजकों के खिलाफ अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई? जिन प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस प्रशासन की लापरवाही से ऐसे आयोजन हो रहे है, क्यों न उनके खिलाफ ही कार्रवाई की जाए?

उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर यह जवाब उस जनहित याचिका में मांगा है जिसमें कलश यात्राएं और अन्य राजनीतिक आयोजनों को चुनौती दी गई है। सामाजिक कार्यकर्ता कमल भागवत ने अभिभाषक अभिजीत यादव के माध्यम से यह याचिका दायर की है। उन्होंने बताया कि जल्दी ही प्रदेश में उपचुनाव होना हैं। बड़े पैमाने पर राजनीतिक दलों के नेता और उनके कार्यकर्ता जनसंपर्क कर रहे हैं। इसके लिए बड़े स्तर पर आयोजन किए जा रहे हैं। इनमें हजारों लोगों को जमा किया जा रहा है। बड़ी संख्या में लोगों के जमावड़े से कोरोना का संक्रमण तेजी से फैलने की आशंका बन गई है। ऐसा नहीं है कि प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस अधिकारियों को आयोजनों की जानकारी नहीं होती, लेकिन वे आंख मूंद कर मूक दर्शक बने हुए हैं। शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं हो रही है।

याचिका में मांग की गई है कि आयोजकों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की जाए और जिन प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की लापरवाही के चलते आयोजन हो रहे हैं। उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाए। शुक्रवार को जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस वीरेंदरसिंह की युगल पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए शासन से इस संबंध में जवाब मांगा है। याचिका में अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।

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