– भारतीय क्षेत्र के डेप्सांग प्लेन्स, डीबीओ, डीएसडीबीओ तक आसानी से पहुंचा जा सकेगा
– डीबीओ के पास सैनिकों की तैनाती करके भारत की अंतिम चौकी पर नजर रख रहा है चीन
नई दिल्ली, 19 अगस्त । भारतीय सीमा में दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) के करीब तक चीनी सेना की पहुंच होने के बाद अब भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) तक पहुंचने के लिए 17 हजार 800 मीटर की ऊंचाई पर वैकल्पिक मार्ग तैयार कर लिया है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने हर परिस्थितियों के लिए यह नया मार्ग बनाया है, क्योंकि यह इलाका पेड़ वाले काराकोरम पहाड़ों के बीहड़ हिस्सों में से एक है। सर्दियों के दौरान यहां तापमान -50 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है और गर्मियों में लगभग 12 डिग्री सेल्सियस हो जाता है। इस नई सड़क से डेप्सांग प्लेन्स, डीबीओ, डीएसडीबीओ तक आसानी से पहुंचा जा सकेगा।
पूर्वी लद्दाख की सीमा एलएसी पर भारत की अंतिम चौकी दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) के पास चीन ने करीब 50 हजार सैनिकों की तैनाती की है। यहां से चीन के कब्जे वाला अक्साई चिन महज 7 किमी. दूर है। दरअसल यहां चीन अपनी सेना की तैनाती करके एक साथ डेप्सांग घाटी, अक्साई चिन और दौलत बेग ओल्डी पर नजर रख रहा है। चीन ने पहले ही डेप्सांग घाटी में नए शिविर और वाहनों के लिए ट्रैक बनाए हैं, जिसकी पुष्टि सेटेलाइट की तस्वीरों और जमीनी ट्रैकिंग के जरिये भी हुई है। पूर्वी लद्दाख का डेप्सांग प्लेन्स इलाका भारत-चीन सीमा के सामरिक दर्रे काराकोरम पास के बेहद करीब है। इसी के करीब चीन सीमा पर भारत की अंतिम चौकी दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) है। 255 किलोमीटर लम्बी दुरबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड यानी (डीएसडीबीओ) इसी के करीब से होकर जाती है। यहां से दौलत बेग ओल्डी की दूरी 30 किलोमीटर है।
डेप्सांग प्लेन में कुल पांच पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी) 10, 11, 11ए, 12 और 13 हैं जहां चीनी सेना भारतीय सीमा में 18 किमी. अन्दर आकर भारतीय सैनिकों को गश्त करने से लगातार रोक रही है। चीन ने एलएसी पार पेट्रोलिंग प्वाइंट-10, पीपी 11, पीपी 12, पीपी 13 तक भारतीय सेना की पहुंच को अवरुद्ध कर दिया है। चीनी सेना पीएलए को रणनीतिक रूप से डीबीओ सड़क पर हावी होना चाहती है। इससे साफ है कि गलवान घाटी, फिंगर-एरिया, पैंगोंग झील और गोगरा (हॉट स्प्रिंग) के बाद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच ये पांचवांं विवादित इलाका है। ऐसा नहीं है कि डेप्सांग प्लेन्स का इलाका हाल ही में चीनी नियंत्रण में आया हो बल्कि भू-स्थानिक अनुसंधान और सेटेलाइट तस्वीरों से यह भी खुलासा हुआ है कि 2000 के दशक की शुरुआत से ही इस क्षेत्र में चीनी बुनियादी ढांचे का निर्माण किया गया है।
इन सब स्थितियों के मद्देनजर भारत ने लद्दाख बॉर्डर तक पहुंचने के लिए 17 हजार 800 फीट की ऊंचाई पर एक पुराने कारवां मार्ग को वैकल्पिक मार्ग के रूप तैयार किया है, जिससे डेप्सांग प्लेन्स, डीबीओ, डीएसडीबीओ तक आसानी से पहुंचा जा सकेगा। यह पुराना मार्ग सियाचिन ग्लेशियर और डेप्सांग प्लेन्स के बीच था जिसे भारत ने लद्दाख के संवेदनशील क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए पुनर्जीवित किया है। वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब होने की वजह से दुरबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड के कई बिंदुओं पर सैन्य जोखिम हैं।
नई सड़क सियाचिन ग्लेशियर के बेस के पास ससोमा से शुरू होती है और 17,800 फुट ऊंचे सेसर ला के पूर्व तक जाती है। फिर डेप्सांग प्लेन्स में मुर्गो के पास गेपसम में उतरकर मौजूदा (डीएसडीबीओ) से जुड़ जाएगी। अब तक सासोमा से सेसर ला तक एक जीप योग्य ट्रैक बनाया गया है। इसके अलावा मुर्गो तक एक जीप योग्य ट्रैक बिछाया जा रहा है। लेह और ससोमा के बीच हर मौसम में इस्तेमाल करने लायक एक सड़क मौजूद है जो सदियों से खच्चर ट्रैक रहा है। 1937 तक लद्दाख और काशगर के बीच इसी सड़क से व्यापारियों का कारवां गुजरता था।