सचिन पायलट भाजपा नेताओं के संपर्क में,

 

  • डिप्टी सीएम खेमे को एसओजी नोटिस स्वीकार्य नहीं
  • पायलट समर्थक मंत्री रमेश मीणा नोटिस से हैं नाराज

राजस्थान में सरकार गिराने की साजिश और विधायकाें की खरीद-फराेख्त के आरोपों के बीच यहां रविवार को सियासी घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। जयपुर से लेकर दिल्ली तक बैठकों का दौर चल रहा है। डिप्टी सीएम सचिन पायलट समेत 12 कांग्रेस और 3 निर्दलीय विधायकाें के दिल्ली के अलावा हरियाणा के तावड़ू स्थित एक हाेटल में हाेने की सूचना मिली। नाराज चल रहे कांग्रेसी विधायक पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर अपनी बात रख सकते हैं। इसके लिए समय मांगा गया है।

इस बीच खबर आ रही है कि सचिन भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं। उन्होंने 15 विधायकों के समर्थन का दावा किया है। उधर, भाजपा का कहना है कि पहले वह गहलोत सरकार गिराएं।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भाजपा ने मुख्यमंत्री पद देने से इनकार कर दिया है।

 

राजस्थान में कांग्रेस सरकार को लेकर राजनीतिक दांव-पेच का खेल गंभीर होता जा रहा है. विधायकों की खरीद फरोख्त मामले में राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) की तरफ से डिप्टी सीएम सचिन पायलट को नोटिस भेजे जाने को लेकर उनके खेमे में नाराजगी है.

सूत्रों के मुताबिक सचिन पायलट खेमे का कहना है कि डिप्टी सीएम से पूछताछ के लिए एसओजी का नोटिस स्वीकार्य नहीं है. गहलोत खेमा सचिन पायलट को बदनाम करना चाहता है. गहलोत कैम्प सचिन पायलट को राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटाने के लिए इस तरह का माहौल तैयार कर रहा है. डिप्टी सीएम खेमे के सूत्रों ने कहा कि सचिन पायलट के साथ 12 विधायक है और जब मौका आएगा तब फैसला लिया जाएगा.

वहीं इस मामले में राजस्थान के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा को भी स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने नोटिस भेजा है, जिस पर उन्होंने कड़ी नाराजगी जताई है.

स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की ओर से पूछताछ के लिए नोटिस भेजने से नाराज सचिन पायलट के प्रबल समर्थक माने जाने वाले कैबिनेट मंत्री रमेश मीणा ने कहा है कि ना उनका नाम शिकायत करने वालों में, न ही उनका नाम आरोपियों में है. फिर किस बात के लिए यह नोटिस उन्हें भेजा जा रहा है.

राजस्थान के कैबिनेट मंत्री रमेश मीणा ने कहा, ‘न मेरा नाम शिकायत करने वालों में है, न ही मेरा नाम आरोपियों में है. फिर किस बात के लिए यह नोटिस भेजा गया है. आखिर इस तरह बेवजह नोटिस देने का क्या औचित्य है? लोकतंत्र में ऐसी परंपराएं ठीक नहीं हैं, आपस में अविश्वास पैदा होता है.’

वहीं कांग्रेस का समर्थन करने वाले निर्दलीय विधायकों को भी पूछताछ के लिए नोटिस भेजा गया है. असल में कहा जा रहा है कि सचिन पायलट नोटिस को लेकर विक्टिम कार्ड खेल रहे थे. इसे देखते हुए अब एसओजी कई मंत्रियों, विधायकों और निर्दलीय विधायकों को नोटिस भेज रही है ताकि ऐसा न लगे कि सचिन पायलट को अकेले नोटिस भेजा गया है.

सीएम और डिप्टी सीएम को भी नोटिस

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को पहले ही नोटिस भेजा जा चुका है और अब 20 से ज्यादा मंत्रियों और विधायकों को नोटिस भेजा गया है.

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हालांकि एसओजी नोटिस को लेकर मुख्यमंत्री सफाई भी दे चुके हैं. सीएम गहलोत ने ट्वीट किया, ‘एसओजी को जो कांग्रेस विधायक दल ने बीजेपी नेताओं द्वारा खरीद-फरोख्त की शिकायत की थी उस संदर्भ में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, चीफ व्हिप एवं अन्य कुछ मंत्री व विधायकों को सामान्य बयान देने के लिए नोटिस आए हैं. कुछ मीडिया द्वारा उसको अलग ढंग से प्रस्तुत करना उचित नहीं है.’

बता दें कि शनिवार को अशोक गहलोत ने कहा था कि एसओजी ने हमें भी बुलाया है. पूछताछ के लिए मैं जाऊंगा. शुक्रवार को एडीजी लॉ एंड ऑर्डर ने कहा था कि हम राज्य के मुखिया को भी बुलाएंगे.

मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा- केंद्र के इशारे पर सरकार गिराने में जुटे पूनिया, राठौड़ और कटारिया
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा नेता गुलाब चंद कटारिया, प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया और उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ का सीधे नाम लेते हुए कहा, ‘ये लोग केंद्रीय नेताओं के इशारे पर राजस्थान में सरकार को गिराने के लिए खेल खेल रहे हैं। एक तरफ राज्य सरकार काेराेना से लड़ रही है लेकिन भाजपा सरकार गिराने की कोशिशों में लगी है।’ उन्होंने कहा कि  जैसे बकरा मंडी में बकरे बिकते हैं, भाजपा उसी ढंग से खरीदकर राजनीति करना चाहती है…इनकी बेशर्मी की हद है।

राजस्थान विधानसभा की मौजूदा स्थिति: कुल सीटें: 200

पार्टी विधायकों की संख्या
कांग्रेस 107
भाजपा 72
निर्दलीय 13
आरएलपी 3
बीटीपी 2
लेफ्ट 2
आरएलडी  1

राजस्थान की विधानसभा में दलीय स्थिति को देखें तो कांग्रेस के पास 107 विधायकों का समर्थन है। इसके अलावा, सरकार को 13 निर्दलीय और एक राष्ट्रीय लोकदल के विधायक का भी समर्थन है। गहलोत सरकार के पास 121 विधायकों का समर्थन है। उधर, भाजपा के पास 72 विधायक हैं। बहुमत जुटाने के लिए कम से कम 29 विधायक चाहिए।

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