सावधान! हवा में भी फैलता है कोरोना, WHO ने जारी की नई गाइडलाइंस

जिनेवा : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कुछ शर्तों के साथ यह स्वीकार कर लिया है कि कोरोना वायरस (CoronaVirus) हवा में फैल सकता है. WHO ने गुरुवार को इस संबंध में नई गाइडलाइंस जारी की, जिसमें वायरस के हवा में फैलने से जुड़ी रिपोर्टों को स्वीकार किया गया है. हालांकि, WHO ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि इस संबंध में व्यापक अध्ययन की जरूरत है.

गौरतलब है कि हाल ही में कई देशों के वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि वायरस हवा में फैलता है. खासकर जब कोई संक्रमित व्यक्ति सांस छोड़ता, बात करता या खांसता है, तो वायरस हवा में फैल जाता है. डब्ल्यूएचओ लंबे समय से इस संभावना को खारिज कर रहा था कि कोरोना वायरस कुछ चिकित्सा प्रक्रियाओं को छोड़कर हवा में फैलता है, लेकिन अब उसने इसे स्वीकार कर लिया है.

WHO ने माना कि कुछ रिपोर्टों में इंडोर एरिया जैसे कि रेस्टोरेंट, फिटनेस क्लास आदि जगहों पर संक्रमण के हवा में फैलने का दावा किया गया था, जो कि संभव है. ऐसा विशेष रूप से इंडोर स्थानों में संक्रमित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक रहने से हो सकता है. हालांकि, संगठन ने यह भी कहा कि इस विषय में तत्काल गहन शोध किये जाने की जरूरत है. मौजूदा सबूतों की समीक्षा के आधार पर, डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वायरस दूषित सतहों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संपर्क और संक्रमित व्यक्ति के ज्यादा करीब आने से लोगों में फैलता है, जब संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता है, सांस लेता, बोलता या गाता है, तो वायरस हवा में फैलकर दूसरों को अपनी चपेट में ले सकता है.

पिछले हफ्ते 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने WHO को खुला पत्र लिखकर सबूत दिए थे कि हवा में मौजूद वायरस के छोटे-छोटे कण लोगों को संक्रमित कर सकते हैं. इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले कोलोराडो विश्वविद्यालय के Jose Jimenez ने WHO के उनके दावों को स्वीकार करने पर खुशी जताते हुए कहा कि ‘यह छोटा लेकिन सही दिशा में उठाया गया कदम है. यह अब स्पष्ट हो गया है कि वायरस तेजी से फैल रहा है और इसकी एक वजह इसका वायुजनित होना भी है’.

वहीं, गुरुवार को एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिसीज के निदेशक डॉ एंथोनी फौसी ने कहा कि COVID-19 के एयरबोर्न ट्रांसमिशन पर अभी तक कई ठोस सबूत नहीं मिले हैं, लेकिन मुझे लगता है कि ऐसा हो सकता है’. उन्होंने आगे कहा कि भले ही इस संबंध में साक्ष्य पर्याप्त नहीं हैं, लेकिन हम उसके आधार पर खासकर ऐसे लोगों को मास्क पहनाने पर जोर दे रहे हैं, जिनमें कोरोना लक्षण नहीं हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या इस तरह हम कोरोना के प्रकोप को कम कर सकते हैं?

बहुत कम बीमारियां ही ऐसी होती हैं, जिनके हवा में फैलने का खतरा होता है. खसरा और तपेदिक ऐसी ही बीमारी हैं. डब्ल्यूएचओ गाइडेंस स्वीकार करता है कि कोरोना वायरस विशिष्ट चिकित्सा प्रक्रियाओं के दौरान हवा में फैल सकता है. लिहाजा इन परिस्थितियों में, चिकित्सा कर्मियों को पर्याप्त रूप से हवादार कमरे काम करने और N95 मास्क और अन्य सुरक्षात्मक उपकरण पहनने की सलाह दी गई है. वायरस के फैलाव को लेकर WHO के जोखिम आकलन में कोई भी बदलाव 1-मीटर (3.3 फीट) की फिजिकल दूरी की सलाह को भी प्रभावित कर सकता है. ऐसी स्थिति में सभी देशों को वायरस के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों में बदलाव करना पड़ेगा.

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