इम्युनिटी बूस्टर के तौर पर आयुष मंत्रालय ने दी परमिशन
पतंजलि को आखिरकार लंबे विवाद के बाद कोरोनिल को बेचने की इजाजत मिल गई है. केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि पतंजलि कोरोनिल को बेच सकती है, लेकिन केवल इम्युनिटी बूस्टर के रूप में.
पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने बुधवार को कहा कि उसके और मंत्रालय के बीच अब कोई मतभेद नहीं है. बता दें कि पिछले हफ्ते आयुष मंत्रालय ने जांच किए जाने तक पतंजलि को कोरोनिल नहीं बेचने को कहा था.
योग गुरु रामदेव ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कोरोनिल के काम पर आयुष मंत्रालय ने हमारे प्रयासों को सराहा है. इसके साथ ही रामदेव ने बताया कि क्लीनिकल ट्रायल और रजिस्ट्रेशन दोनों प्रक्रिया में नियमों का पालन किया गया है. कोरोनिल 23 जून को लॉन्च की गई थी. दावा किया गया था कि इससे 7 दिन के अंदर 100 फीसदी रिकवरी हो जाएगी. कोरोना की दवा के रूप में लाई गई कोरोनिल पर तुरंत ही विवाद हो गया.
बाबा रामदेव ने बताया कि आयुष मंत्रालय ने कहा है कि पतंजलि ने कोविड-19 के मैनेजमेंट के लिए पर्याप्त काम किया है यानी अच्छी पहल की है. पतंजलि ने एक सही दिशा में काम करना शुरू किया है.
मंत्रालय ने पुष्टि की कि पतंजलि कोरोनिल बेच सकती है लेकिन दवा के रूप में नहीं. आयुष मंत्रालय ने इसे केवल इम्युनिटी बूस्टर के रूप में बेचने की अनुमति दी है न कि COVID-19 के लिए एक औषधीय इलाज के रूप में.
बाबा रामदेव ने बताया कि उन्होंने कोरोना पर क्लीनिकल कंट्रोल का ट्रायल किया है. क्लीनिकल ट्रायल के जो भी पैरामीटर्स हैं, उनके तहत हमने रिसर्च की है. अभी तक कोरोना के ऊपर क्लीनिकल ट्रायल हुआ है. इसके अलावा 10 से ज्यादा बीमारियों पर हम ट्रायल कर रहे हैं और उसमें तीन लेवल पार कर चुके हैं. इसमें हापरटेंशन, अस्थमा, हार्ट, चिकुनगुनिया जैसे रोग शामिल हैं, जिन पर हम ट्रायल कर रहे हैं.